प्रमुख बैंकरों ने आशंका जताई है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 214 कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने के फैसले से उनकी गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ सकती हैं। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है।
भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में कहा, ऐसा हो सकता है, मैं इसकी संभावना को नकार नहीं रही, लेकिन अभी हमें घबराने की जरूरत नहीं है। हमें धैर्य रखना होगा और देखना होगा कि यह कहां जाता है। कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द होने से प्रभावित कंपनियों को एसबीआई ने 4,130 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है।
निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर ने कहा कि अभी इस मुद्दे पर घबराना कुछ जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार कोई समाधान लेकर आती है, तो इससे परिसंपत्तियां का परिचालन चालू रह सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले बुधवार को 1993 से आवंटित 214 कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया था। इनमें से 46 ब्लॉक काफी परिचालन में हैं, जबकि 40 चालू होने के करीब थे। शीर्ष अदालत ने सिर्फ चार कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द नहीं किया।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किए गए सभी कोयला ब्लॉकों के लाइसेंसधारकों द्वारा अभी तक निकाले गए कोयले पर 295 रुपये प्रति टन का शुल्क भी लगाया है। इसका भुगतान 31 दिसंबर, 2014 तक किया जाना है।