भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि मौद्रिक नीति उपायों पर अमल करते हुए उन्हें अपनी आधार दर में कटौती करनी चाहिए।
विभिन्न बैंक अपनी आधार दर में कटौती करने के बजाय अलग-अलग श्रेणियों के ऋणों पर ब्याज दरों में कटौती में लगे हैं।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आनंद सिन्हा ने आईडीबीआई के एक कार्यक्रम में कहा, ‘मौद्रिक शर्तों में किए गए बदलाव की प्रतिक्रिया आधार दर में दिखाई देनी चाहिए। रिजर्व बैंक निश्चित रूप से चाहता है कि बैंक मौद्रिक उपायों में बदलाव के जवाब में आधार दरों में कटौती करें।’
सिन्हा ने कहा कि ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक की समिति इन समस्त पहलुओं को देख रही है। इस समिति के प्रमुख सिन्हा ही हैं।
समिति को अपनी रिपोर्ट पिछले महीने ही देनी थी। सिन्हा ने कहा कि समिति ने इस दिशा में प्रगति की है और वह जल्द रिपोर्ट पेश करेगी।
एक सवाल के जवाब में सिन्हा ने कहा कि बैंक अपनी आधार दरों में मौद्रिक नीति में बदलाव के अनुरूप कटौती नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उन पर स्थिर दरों पर जमा पूंजी के साथ लंबे समय तक इस ब्याज लागत का बोझ है।
इस साल जनवरी से रिजर्व बैंक ने रेपो दरों में आधा फीसद कटौती की है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 1.25 प्रतिशत तथा पिछले सप्ताह सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में एक फीसद की कटौती की है। इसके बावजूद इसका लाभ ग्राहकों को ब्याज दरों में कुल कटौती के रूप में नहीं मिल पा रहा है।
भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित कई बैंकों ने आवास, वाहन और लघु उद्योग क्षेत्र जैसे चुनींदा क्षेत्र के कर्ज पर ब्याज दरें घटाईं हैं लेकिन किसी भी बैंक ने अपनी न्यूनतम दर आधार दर में कोई कटौती नहीं की।