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नहीं घटी आपकी EMI, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दिया 'बड़ा झटका', दरें यथावत रखीं

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने तमाम विश्लेषकों और विशेषज्ञों के कयासों पर पूर्णविराम लगाते हुए बड़ा झटका दिया है. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट समेत प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. बता दें कि कयास लगाए जा रहे थे कि RBI आज रेपो रेट में कटौती कर सकती है. लेकिन बैंक ने इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है.
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NDTV Profit हिंदी03:46 PM IST, 07 Dec 2016NDTV Profit हिंदी
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने तमाम विश्लेषकों और विशेषज्ञों के कयासों पर पूर्णविराम लगाते हुए बड़ा झटका दिया है. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट समेत प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. बता दें कि कयास लगाए जा रहे थे कि RBI आज रेपो रेट में कटौती कर सकती है. लेकिन बैंक ने इसे 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है.

केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट भी बरकरार रखा है. इसी के साथ खुदरा महंगाई दर 5% रहने के आसार जताए हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस ऐलान के दौरार देश की जीडीपी का अनुमान 7.6 से घटाकर 7.1 कर दिया है. यह भी कहा है कि तीसरी तिमाही में महंगाई घटने के आसार हैं.

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यह भी पढ़ें- जानें क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और सीआरआर
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RBI का कहना है कि नोटबंदी की वजह से ज़्यादातर कैश लेन-देन वाले सेक्टरों जैसे खुदरा कारोबार, होटल, रेस्टोरेंट और ट्रांसपोर्ट पर कुछ वक्त के लिये असर पड़ेगा. बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति कल और आज चली अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके. नोटबंदी से प्रभावित माहौल में केन्द्रीय बैंक ने हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया. मौजूदा हालात में जब नोटबंदी की वजह से कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ा है उद्योग और आर्थिक विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि केन्द्रीय बैंक नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है.

आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट अमान्य किये जाने के बाद यह समिति की पहली तथा कुल मिला कर दूसरी समीक्षा बैठक थी. इससे पहले समिति ने अक्टूबर में मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था.

आकंड़े बताते हैं कि नकद की महत्ता के चलते नोट बैन ने देश की अर्थव्यवस्था को आशंका से कहीं ज्यादा बड़ा झटका दिया है. ऑटो सेक्टर में बिक्री बुरी तरह घटी है और सेवा क्षेत्र में गतिविधियां बहुत ही धीमी हो गई हैं. डेढ़ साल में इतनी कम हलचल सेवा सेक्टर में पिछले ही महीने देखी गई. विशेषज्ञ चेता चुके हैं कि विमुद्रीकरण का असर 2018 तक रह सकता है. कई विदेशी ब्रोकरेज फर्मों ने आर्थिक वृद्धि की ग्रोथ का अनुमान पहले ही घटा लिया है.

विशेषज्ञ आरबीआई की ओर से ग्रोथ को लेकर किए जाने वाले अनुमान पर भी नजर रखेंगे. वैश्विक स्तर पर देखें तो भारत जैसे उभरते हुए बाजार के लिए अमेरिका में प्रेजिडेंट के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप का चुना जाना भी अपने आप में दबाव की माफिक है. ऐसा उनकी नीतियों को लेकर अनुमान आदि को लेकर है. (नोटबंदी से जुड़ी खबरें पढ़ने और वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें)
 

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