केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि कालाधन की समस्या पर अंकुश लगाने के मकसद से बड़ी राशि के नकद लेन-देन का पता लगाने के लिए कर विभाग की क्षमता बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि कालेधन की एक बड़ी राशि देश में ही रहती है।
उन्होंने कहा, 'आयकर विभाग की निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाया गया है और सूचना प्राप्त करने तथा कर चोरी का पता लगाने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित विश्लेषणात्मक तरीकों के इस्तेमाल की उसकी क्षमता बढ़ाई गई है।'
जेटली ने फेसबुक पोस्ट में कहा, 'कर विभाग की बड़ी मात्रा में नकदी निकासी या बड़ी राशि के लेन-देन को पता लगाने के लिए क्षमता बढ़ाई जा रही है।' उन्होंने कालेधन की समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का लागू होना इस दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
वित्त मंत्री ने कहा, 'इससे सोना जैसे जिंसों में जहां निर्यातकों द्वारा इनकी प्रारंभिक खरीद सीमा शुल्क के भुगतान के साथ की जाती है, पर उसके बाद उनका अधिकतर क्रय-विक्रय नकद में किया जाता है, जिसका आसानी से पता लगाया जा सकता है।'
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कालेधन का बड़ा हिस्सा अभी भारत में है, ऐसे में राष्ट्रीय रुख में बदलाव लाने की जरूरत है ताकि 'प्लास्टिक' मुद्रा एक नियम बन जाए और नकदी लेन-देन अपवाद स्वरूप हो तथा सरकार इस बदलाव को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्राधिकरणों के साथ काम कर रही है।
जेटली ने कहा, 'इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार इस बदलाव को प्रोत्साहन देने को लेकर विभिन्न प्राधिकरणों के साथ काम कर रही है। भुगतान के लिए बड़ी संख्या में 'गेटवे' के आने, इंटरनेट बैंकिंग, भुगतान बैंक तथा ई-वाणिज्य कंपनियों से बैंकों के जरिए लेन-देन से 'प्लास्टिक' मुद्रा का उपयोग बढ़ेगा।' वित्त मंत्री ने कहा कि एक निश्चित सीमा से अधिक नकदी लेन-देन में पैन को अनिवार्य बनाए जाने के मामले में सरकार आगे बढ़ चुकी है।
उन्होंने कहा कि कर ढांचे को युक्तिसंगत बनाना, उपयुक्त दर से करारोपण, कम आय वाले समूह के पॉकेट में ज्यादा-से-ज्यादा धन रखना, प्लास्टिक मुद्रा के उपयोग को प्रोत्साहन तथा अघोषित आय का लगातार उपयोग करने वालों के खिलाफ प्रतिरोधक तैयार करना सरकार की रणनीति है।