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मारुति के मानेसर संयंत्र में लगा ताला, कहीं और नहीं जाएगी कंपनी

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कम्पनी मारुति सुजुकी ने शनिवार को मानेसर संयंत्र में अनिश्चित काल के लिए ताला लगाने की घोषणा की लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि संयंत्र को कहीं और ले जाने की कम्पनी की कोई योजना नहीं है।
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NDTV Profit हिंदी10:32 PM IST, 21 Jul 2012NDTV Profit हिंदी
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देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कम्पनी मारुति सुजुकी ने शनिवार को मानेसर संयंत्र में अनिश्चित काल के लिए ताला लगाने की घोषणा की लेकिन साथ ही स्पष्ट किया कि संयंत्र को कहीं और ले जाने की कम्पनी की कोई योजना नहीं है।

संयंत्र में बुधवार को घटी हिंसा में एक अधिकारी की मौत हो गई, जबकि कई और घायल हो गए।

कम्पनी के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमारे बारे में यह सोचा जाना कि हम कहीं और चले जाएंगे, पूरी तरह बेबुनियाद है। मानेसर से कहीं और जाने की न तो कोई योजना है और न ही कोई योजना थी।"

भार्गव मानेसर संयंत्र में हिंसा और आगजनी के तीन दिन बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे। कामगारों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारियों को पीटा और संयंत्र में आग लगा दी।

पुलिस के मुताबिक आग में एक वरिष्ठ अधिकारी की जलकर मौत हो गई जबकि दो दर्जन अधिकारी घायल हो गए।

इसी संयंत्र में 2011 में सितम्बर-अक्टूबर में श्रमिकों की समस्या खड़ी हुई थी और कम्पनी को लगभग 2,500 करोड़ रुपये का उत्पादन नुकसान हुआ था। नवम्बर के पहले सप्ताह में हड़ताल समाप्त हुई थी और यूनियन के नेताओं ने मोटी रकम लेकर कम्पनी से त्यागपत्र दिया था।

उल्लेखनीय है कि मारुति सुजुकी गुजरात में एक नए संयंत्र की योजना बना रही है और हरियाणा में लगातार हो रही श्रमिकों की समस्या को इससे जोड़ कर देखा जा रहा है। वास्तविकता है कि कम्पनी गुड़गांव की अपनी विनिर्माण इकाई को चरणबद्ध तरीके से मानेसर संयंत्र में ले जाना चाहती है।

इस बीच कम्पनी ने कहा कि मानेसर संयंत्र में अनिश्चित काल के लिए ताला लगा दिया गया है।

भार्गव ने कहा, "हम अपने किसी कर्मचारी के जीवन और स्वास्थ्य को जोखिम में नहीं डालना चाहते, जब तक हम यह नहीं पता लगा लेते कि बुधवार की घटना का मूल कारण क्या था और उसका निराकरण नहीं कर लेते।" उन्होंने कहा, "हम संयंत्र में उत्पादन करने की स्थिति में नहीं हैं। सहकर्मियों की सुरक्षा कुछ कारों का उत्पादन करने या पैसे कमाने से अधिक महत्वपूर्ण है।" उन्होंने कहा कि नौ महीने पहले आखिरी हड़ताल के बाद कामगारों के साथ सभी मसले सुलझा लिए गए थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ कैजुअल कामगारों को अस्थायी और स्थायी कामगारों का दर्जा देने का मसला मार्च 2013 तक सुलझाया जाना बाकी है।

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