ADVERTISEMENT

कॉल ड्राप के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करे केंद्र : गोविंदाचार्य

संघ विचारक गोविंदाचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर कॉल ड्राप का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा मोबाइल नेटवर्क में निवेश की कमी से कॉल ड्रॉप एक राष्ट्रीय महामारी बन गई है।
NDTV Profit हिंदीRajeev Mishra
NDTV Profit हिंदी12:41 PM IST, 08 Jun 2016NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

संघ विचारक गोविंदाचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर कॉल ड्राप का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा मोबाइल नेटवर्क में निवेश की कमी से कॉल ड्रॉप एक राष्ट्रीय महामारी बन गई है। दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए 16 अक्तूबर 2015 को नियम बनाया था जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 11 मई 2016 के निर्णय से निरस्त कर दिया है। फैसले के अध्ययन से ऐसा प्रतीत होता है एक सर्वोच्च न्यायालय के सम्मुख सरकार द्वारा तथ्यों का सही प्रस्तुतिकरण नहीं किया गया।

कॉल ड्राप पर मुआवजे को लेकर नया कानून बने
इसी वजह से गोविंदाचार्य जी ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि सरकार जल्द से जल्द इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करे। उन्होंने मांग की है कि यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सहमत है तब भी सरकार को कॉल ड्राप पर मुआवजे को लेकर नया कानून बनाना चाहिए क्योंकि कोर्ट ने मुआवजे को हटाते हुए कहा था कि इसका नियम सही तरीके से बनाया नहीं गया है।

गोरतलब है कि देश में 100 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं।  गोविंदाचार्य ने कहा कि मोबाइल कंपनियों को फिलहाल उपभोक्ताओं को लूटने की खूली छूट मिली हुई है।

रेडियो लिंक टाइमआउट प्रौद्योगिकी पर उठे सवाल, ट्राई ने मांगी सफाई
दूरसंचार नियामक ट्राई दूरसंचार ऑपरेटरों से रेडियो लिंक टाइमआउट प्रौद्योगिकी का ब्यौरा मांगेगा। इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कथित तौर पर कॉल ड्रॉप को छुपाने के लिये किया जा रहा है परिणामस्वरूप ग्राहकों को ऊंचा बिल चुकाना पड़ रहा है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा, ‘‘कोई भी जांच बिठाने से पहले हम दूरसंचार ऑपरेटरों से रेडियो लिंक टैक्नालॉजी (आरएलटी) का ब्यौरा मांगेंगे। यह ब्यौरा उन मानदंडों के दायरे में मांगा जायेगा जो कि यहां अपनाये जा रहे हैं और ऐसे मानदंड जो कि पिछले एक साल के दौरान अपनाये जाते रहे हैं।’’ ट्राई द्वारा दिल्ली में किये गये ताजा परीक्षण के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल नेटवर्क आधारित गुणवत्ता पूर्ण सेवाओं के सभी मानदंडों पर असफल साबित हुई।

दिल्ली की परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार एयरसेल और वोडाफोन दूसरी दूरसंचार कंपनियों के मुकाबले आरएलटी का अधिक इस्तेमाल कर रहीं हैं। आरएलटी यानी रेडियो लिंक टाइमआउट एक ऐसा मानदंड है जिसमें यह तय किया जाता है कि सिगनल गुणवत्ता के एक सीमा से ज्यादा कमजोर पड़ जाने के बावजूद कितने समय तक कॉल को बरकरार रखा जा सकता है।

 

NDTV Profit हिंदी
लेखकRajeev Mishra
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT