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भारत की वित्तीय साख के लिए 12-24 माह तक ज्यादा खतरा : फिच

रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि अगले 12 से 24 माह के दौरान भारत की रेटिंग को कम किए जाने की संभावना 50 फीसदी से ज्यादा है।
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NDTV Profit हिंदी11:46 AM IST, 13 Aug 2012NDTV Profit हिंदी
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रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि अगले 12 से 24 माह के दौरान भारत की रेटिंग को कम किए जाने की संभावना 50 फीसदी से ज्यादा है। फिच ने अभी भारत की वित्तीय साख को नीचे नहीं किया है, पर भविष्य के परिदृश्य को ‘नकारात्मक’ जरूर कर दिया है।

फिच ने कहा, नकारात्मक परिदृश्य इस बात का संकेतक है कि अगले 12 से 24 माह में इस बात की काफी संभावना है कि देश की रेटिंग को घटाकर ‘ट्रिपल बी माइनस’ से ‘बीबी प्लस’ कर दिया जाए। फिच एपीएसी सावरेन टीम के निदेशक आर्ट वू ने कहा, जब हम बात करते हैं कि अधिक संभावना, तो इसका आशय है कि 50 फीसदी से अधिक संभावना की। भारत की रेटिंग में संशोधन के बारे में ई-मेल के जरिए भेजे गए सवालों के जवाब में फिच ने यह बात कही है। फिच ने सरकारी ऋण के लिए भारत का परिदृश्य 15 जून, 2012 को स्थिर से नकारात्मक कर दिया।

ऋण परिदृश्य को घटाने के पीछे बड़ा करण बताया गया कि बुनिदी नीतियों में जिस तेजी से सुधार की जरूरत है वैसा हो नहीं पा रहा है। इससे देश की मध्यकालिक और दीर्घकालिक वृद्धि की संभावना घट सकती है।

एजेंसी का कहना है कि व्यवसाय तथा निजी निवेश को बढ़ाने के लिए ज्यादा सकारात्मक वातावरण बनाने की जरूरत है।

भारत की सावरेन रेटिंग (सरकार की वित्तीय साख) घटाए जाने से निवेशकों की धारणा प्रभावित हो सकती है और इससे ऋण लेने की लागत बढ़ सकती है।

वू ने कहा, वृहद आर्थिक तस्वीर प्रतिकूल होने की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को चुनौतीपूर्ण वातावरण का सामना करना पड़ रहा है। वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी है, जबकि मुद्रास्फीति का दबाव कायम है। उन्होंने कहा कि भारत में निवेश के वातावरण के समक्ष ढांचागत चुनौतियां हैं। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकार के हाल के सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) जैसे कर प्रस्तावों की समीक्षा के फैसले ज्यादा हैरान करने वाले नहीं हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले महीने इक्रियर के प्रमुख और कर विशेषज्ञ पार्थासारथी शोम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। इस समिति को गार के मामले में ज्यादा स्पष्टता लाने के अलावा 30 सितंबर तक इसके क्रियान्वयन के लिए खाका तैयार करने का काम करना है।

एक अन्य रेटिंग एजेंसी मूडीज ने गत 9 अगस्त को भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है। वैश्विक मोर्चे पर संकट, घरेलू नीतियों में समन्वय के अभाव तथा खराब मानसून स्थिति की वजह से मूडीज ने वृद्धि दर का अनुमान घटाया है।

हाल के दिनों में वित्तीय सेवा कंपनी सिटी, सीएलएसए तथा क्रिसिल ने देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है। रिजर्व बैंक ने 31 जुलाई को पेश मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में देश की वृद्धि दर के अनुमान को 7 से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।

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