कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने आज कहा है कि कोरोना (Coronavirus) महामारी के कारण पिछले 15 दिनों में देश के खुदरा व्यापार में लगभग ढाई लॉक करोड़ के व्यापार का नुकसान हुआ है. भारतीय खुदरा व्यापार क्षेत्र में 7 करोड़ छोटे मध्यम व्यापारी शामिल हैं जो 45 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं. देश के रिटेल बाज़ार में प्रतिदिन लगभग 14 हजार करोड़ का व्यापार होता है जो इस वैश्विक महामारी के कारण व्यापारियों के लिए सबसे कठिन चुनौती है जिसने भारतीय रिटेल व्यापार के पहियों को न जाने कितने समय के लिए रोक दिया है. व्यापारियों की कल्पना से अधिक भयावह स्थिति है. कोरोना वायरस का स्वास्थ्य पर प्रभाव निश्चित रूप से एक बड़ी समस्या है लेकिन इससे भी बुरी बात यह है कि यह एक अभूतपूर्व आर्थिक नुकसान का भी जनक है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि भले ही वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था काफी कम प्रभावित है किन्तु फिर भी भारतीय व्यापारियों को इसके लिए बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी. भारतीय व्यापारियों का लगभग सारा व्यापार पिछले 15 दिनों से लगभग बंद पड़ा है और कारोबारी गतिविधियां पूरी तरह ठप पड़ गई हैं. इस विनाशकारी स्थिति का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अधिकांश भारतीय व्यापारियों को स्वास्थ्य कारणों तथा सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए अपनी दुकानें बंद करनी पड़ी हैं, लेकिन फिर भी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना पड़ेगा और इसके अलावा किराया और कर भी देने हैं. भारत में नकद के परिचालन का ज्यादा होने के कारण लॉकडाउन के बाद भारतीय उपभोक्ताओं की मांग भी काफी कम हुई है क्योंकि उपभोक्ता भी लॉक डाउन के कारण बाज़ारों में आ नहीं पा रहा है.
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण कारण यह है कि आयात में भारी गिरावट आई है, जिसके कारण भारतीय व्यापारियों के पास लॉकडाउन उठने के बाद भी बेचने के लिए पर्याप्त माल नहीं हो सकता है. चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप कोविड -19 के गंभीर प्रभाव में हैं, उन्हें सामान्य होने में अधिक समय लगेगा और इसलिए आयात और आपूर्ति श्रृंखला को पटरी पर लाने में अधिक समय लग सकता है. भारतीय उद्योग आयात पर निर्भर है. कच्चे माल की कमी के कारण फ़ैक्ट्रियों में उत्पादन भी बिलकुल बंद हो गया है. शहरी क्षेत्रों के खुदरा बाजारों में श्रमिकों की कमी है क्योंकि बहुत से श्रमिक अपने गांवों को चले गए हैं.
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि सरकार ने ईएमआई को स्थगित कर दिया है, लेकिन ब्याज को माफ किए बिना, यह कोई वास्तविक लाभ नहीं होगा. उन्होंने आगे कहा कि, हमने सरकार से कर रियायतों, ऋण के लिए सुगम और आसान पहुंच, जीएसटी राइट-ऑफ, छूट और मजदूरी के लिए प्रतिपूर्ति, ब्याज लागत की छूट सहित अन्य मांगों के साथ ठोस कार्यवाही के लिए सरकार से अपील की है.