सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि बैंक डिपॉजिट से लेकर क्रेडिट कार्ड बिलों की पेमेंट तक, एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) से लेकर प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त तक एक निश्चित सीमा से अधिक के सभी ट्रांजैक्शन इनकम टैक्स विभाग को रिपोर्ट किए जाने की बैंकों की इंस्ट्रक्शन हैं. 17 जनवरी को आईटी द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक, यदि आपने अपने क्रेडिट कार्ड से 1 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत का बिल भरा है तब भी यह सूचना आईटी विभाग को दी जाएगी. साथ ही किसी एक वित्तीय वर्ष में क्रेडिट कार्ड पेमेंट भुगतान चाहे चेक से करें या फिर नेटबैंकिंग आदि के जरिये, यदि यह 10 लाख रुपये या उससे अधिक होता है तब भी इसकी सूचना आयकर विभाग को दी जाएगी.
ऐसे में जरूरी है कि आप यह भी ध्यान रखें कि आपका कार्ड पूरी तरह से सुरक्षित हो. कुछ बातों का ध्यान रखें...
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उसके जरिए किसी धोखाधड़ी का शिकार न हो जाएं आप. इसे संभाल कर रखें और इससे संबंधित सूचनाओं को पूरी तरह से गोपनीय रखें. जहां तक संभव हो, अपनी प्लास्टिक मनी को पब्लिस प्लेस पर 'फ्लॉन्ट' न करें. कुछ सीक्रेसी बरतते हुए इस्तेमाल करें.
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अपने कार्ड संबंधी गोपनीय सूचनाएं फोन पर देने से बचें. ऐसा तब तक न करें जब तक कि आपने खुद बैंक को फोन न किया हो या फिर जहां से सूचनाएं पूछने वाला फोन आया हो, वह बैंक मर्चेंट न हो.
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किसी भी ऐसी ईमेल का जवाब न दें जो आपके अकाउंट नंबर या फिर अन्य महत्वपूर्ण निजी सूचनाओं को मांग रही हो. यदि आपको लग रहा हो कि यह ईमेल आपके बैंक द्वारा ही भेजी गई है तो भी अच्छा होगा कि सूचनाएं देने से पहले बैंक में खुद ही फोन करके बात कर लें.
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पेपर स्टेटमेंट की बजाय पेपरलेस यानी ई स्टेटमेंट (बिल) को प्राथमिकता दें. लेकिन यह भी ध्यान दें कि आपकी स्टेटमेंट जिस ईमेल पर आ रही है उसका पासवर्ड केवल आपके पास हो. और हां, स्टेटमेंट पढ़ें जरूर, कौन कौन से चार्ज लगाए हैं, उन पर गौर करें और ऐसा कोई चार्ज यदि बिल में जोड़ा गया है, जिसके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं या संदेह हो रहा हो, उसके बाबत बैंक से फोन करके पूछ लें.
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जिस कंप्यूटर या लैपटॉप पर आप ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से पेमेंट जैसी सेवाओं का इस्तेमाल करते हों, उस पीसी/लैपटॉप में ऐंटिवायरस होना चाहिए. केवल एक बार सिक्यॉरिटी सिस्टम डाउनलोड करना ही काफी नहीं, ब्लकि इसके लिए समय समय पर आ रहे अपडेट्स का भी ध्यान रखें और इन्हें अपडेट करते रहें.