दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इंफ्राटेक के घर खरीदारों के एक समूह ने अंतरिम समाधान पेशेवर ( आईआरपी ) अनुज जैन को चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने कहा है कि किसी भी समाधान योजना को अंतिम रूप देते समय नोएडा स्थित जेपी विशटाउन परियोजना में फ्लैट बुक करने वाले हजारों खरीदारों के हितों की रक्षा की जानी चाहिये. खरीदारों ने जेपी इंफ्राटेक के लिए बोलीदाताओं द्वारा पेश किए गए ऋण-समाधान के मूल्यांकन के लिए अपनाए गए मानदंडों पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने "इसे मनमाना और वित्तीय कर्जदाताओं के पक्ष में" बताया.
कर्ज चुकाने में नाकाम रहने के बाद जेपी समूह की कंपनी जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है. जेपी इंफ्राटेक के अधिग्रहण के लिए लक्षद्वीप बोलीदाता की दौड़ में सबसे आगे है, इस पर कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) सात मई को आयोजित बैठक में विचार करेगी.
खरीदारों ने चिट्ठी में कहा कि घर खरीदारों ने कंपनी को 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है जबकि इसके मुकाबले वित्तीय कर्जदाताओं ने करीब 9,800 करोड़ रुपये दिए हैं. इस लिहाज से घर खरीदारों की हिस्सेदारी वित्तीय कर्जदाताओं की हिस्सेदारी से 1.4 गुना अधिक है. हालांकि, कर्जदाताओं को ग्राहकों से 1.6 गुना ज्यादा महत्व दिया गया है.
घर खरीदारों के समूह ने कहा है, ‘‘हमारा यह मानना है कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों को ध्यान में रखते हुये इस प्रकार के आपत्तिजनक मूल्यांकन मानदंडों के आधार पर किसी भी बोली को अंतिम रूप देना न तो सही है और न ही इसकी अनुमति दी जा सकती है.’’
समूह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय चाहता है कि घर खरीदारों के हितों की रक्षा होनी चाहिये. पत्र में हालांकि बोली लगाने वाली कंपनी का नाम नहीं लिया गया है लेकिन इसमें घरखरीदारों ने कहा है कि आवेदनकर्ता ने मकानों की सुपुर्दगी में हुई भारी देरी के मामले में क्षतिपूर्ति दिये जाने से छूट मांगी है जो कि जेपी इंफ्राटेक के फ्लैट आवंटन समझौते के खिलाफ है.
जेपी इंफ्राटेक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 32,000 फ्लैट तैयार कर रहा है. इसमें से अब तक वह 9,500 फ्लैट का ही कब्जा दे पाया है. इसके अलावा 4,500 अन्य फ्लैट के लिये उसने सुपुर्दगी प्रमाणपत्र के लिये आवेदन किया है.