देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा समूह ने निदेशक मंडल में मचे घमासान के बीच समूह की धारक कंपनी टाटा संस ने रविवार को आरोप लगाया कि साइरस मिस्त्री ने चेयरमैन बनने के लिए चयन समिति को 'ऊंचे-ऊंचे वादों से भ्रमित' किया तथा अपने अधिकारों का इस्तेमाल प्रबंधन ढांचे को कमजोर करने के लिए किया.
समूह ने शेयरधारकों के नाम अपील में 'कुछ महत्वपूर्ण तथ्य' प्रस्तुत किए हैं, जिनके कारण टाटा संस का मिस्त्री में 'भरोसा टूटा' और उन्हें समूह की इस धारक कंपनी के चेयरमैन पद से हटाया गया.
यह अपील समूह की प्रमुख कारोबारी कंपनियों की निदेशक मंडलों की इसी महीने होने वाली बैठकों के कुछ दिन पहले जारी की गई है. इन बैठकों में मिस्त्री को उनके निदेशक पद से हटाए जाने के प्रस्ताव पर फैसला होना है.
टाटा संस ने कहा है कि 2011 में रतन टाटा के उत्तराधिकारी के चयन के लिए बनी समिति को मिस्त्री ने 'भ्रमित' किया. उन्होंने उस समय टाटा समूह के बारे में 'ऊंची-ऊंची योजनाएं' पेश की थीं और इससे बढ़कर कहा था कि वे समूह को विस्तृत प्रबंधकीय ढांचा प्रस्तुत करेंगे, क्योंकि इसका कारोबार विविधतापूर्ण है'. उन्होंने एक ऐसे प्रबंधन ढांचे की योजना दिखाई थी, जिसमें अधिकारों व दायित्व विकेंद्रीकरण होगा.
रविवार को जारी अपील में कहा गया है, 'मिस्त्री के इन बयानों व प्रतिबद्धताओं ने मिस्त्री को चेयरमैन पद के लिए चुनने के फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन चार साल के इंतजार के बाद भी प्रबंधकीय ढांचे व योजनाओं को क्रियान्वित नहीं किया गया. स्पष्ट रूप से हमारी राय है कि चयन समिति ने मिस्त्री का चयन 'भ्रम' में किया'.
टाटा संस ने आरोप लगाया है कि मिस्त्री ने अपने परिवार की फर्म शापूरजी पलोंजी एंड कंपनी से खुद को दूर रखने के वादे को भी पूरा न कर 'अनुचित व्यवहार' किया और इससे 'भरोसा टूटने की भावना उत्पन्न हुई' साथ ही टाटा संस में 'कंपनी संचालन के उच्च सिद्धांतों के लिए बड़ी चुनौती पैदा हुई'. मिस्त्री ने अपने वादों से जिस तरह से मुंह मोड़ा, उससे टाटा समूह को हितों के टकराव से मुक्त होकर नेतृत्व प्रदान करने की मिस्त्री की क्षमता को लेकर चिंताएं पैदा हुईं. उन्होंने निस्वार्थ कंपनी संचालन के उच्च मानकों को जोखिम में डाला, जबकि ये मानक समूह के मुख्य दर्शन के केंद्र में हैं.
टाटा संस ने आरोप लगाया है कि 'मिस्त्री ने बीते 3-4 साल में सारी शक्तियां व अधिकारी अपने हाथों में केंद्रीत कर लिए थे. उन्होंने बड़े तरीके से समूह की कंपनियों में टाटा संस के प्रतिनिधित्व को कमजोर किया. उन्होंने आजादी व भरोसे का नाजायज फायदा उठाकर समूह की कंपनियों के प्रबंधकीय ढांचे को कमजोर किया और एक अमानती के कर्तव्य के विपरीत आचरण किया'.
अपील में यह भी कहा गया कि टाटा संस व उसके निदेशक मंडल में समूह की कंपनियों के वित्तीय परिणामों को लेकर भी चिंताएं थीं, क्योंकि टीसीएस को जोड़कर अन्य कंपनियों से धारक कंपनी को मिलने वाली लाभांश की आय लगातार कम हो रही थी, जबकि कर्मचारी खर्च दोगुने से अधिक बढ़ गया था.
इसके अनुसार, 'यदि टीसीएस का लाभांश न होता तथा इसमें घाटा ही होता. मिस्त्री ने इन मुद्दों व टीसीएस पर टाटा संस की बढ़ती निर्भरता पर ध्यान नहीं दिया. निदेशक मंडल इस स्थिति को और बर्दाश्त नहीं कर सकता था, क्योंकि इससे टाटा संस की वित्तीय वहनीयता के लिए जोखिम उत्पन्न होने का अंदेशा था'.
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