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दिल्ली : सिंगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी के कारण इससे जुड़े कारोबारी परेशानी में

दो अक्टूबर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के कई सामानों पर पाबंदी के ऐलान को लेकर सिर्फ उन्हें बनाने वाले ही नहीं बल्कि प्लास्टिक के कारोबार से जुड़े तमाम कारोबारी परेशान हैं. कई लोगों का बरसों से चल रहा कारोबार बैठने के आसार हैं. NDTV ने बदले हालात में सिंगल यूज प्लास्टिक की सामग्री के कारोबार से जुड़े लोगों से बात की. पाबंदी के कारण इस कारोबार से जुड़े लोग संकट में हैं और भविष्य को लेकर चिंतित हैं.
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NDTV Profit हिंदी07:09 PM IST, 11 Sep 2019NDTV Profit हिंदी
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दो अक्टूबर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के कई सामानों पर पाबंदी के ऐलान को लेकर सिर्फ उन्हें बनाने वाले ही नहीं बल्कि प्लास्टिक के कारोबार से जुड़े तमाम कारोबारी परेशान हैं. कई लोगों का बरसों से चल रहा कारोबार बैठने के आसार हैं. NDTV ने बदले हालात में सिंगल यूज प्लास्टिक की सामग्री के कारोबार से जुड़े लोगों से बात की. पाबंदी के कारण इस कारोबार से जुड़े लोग संकट में हैं और भविष्य को लेकर चिंतित हैं.

बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में प्लास्टिक के कारोबार से जुड़े कारोबारियों से उनकी चिंता और चुनौती को टटोलने की कोशिश NDTV ने की. सबसे पहले बिहार के 42 साल के हरेराम चौरसिया से मुलाक़ात हुई. वे साल भर से लॉलीपॉप के चम्मच बना रहे हैं. पहले सेकंड हैंड मशीन आठ लाख रुपये में ली, फिर कारोबार फला फूला तो दो महीने पहले ही एक और नई मशीन कर्ज़ लेकर ले ली. उनकी यह कहते-कहते आंखें भर आईं कि 'कर्ज़ 14 लाख का है. इस उद्योग से 12 कारीगरों के परिवार पलते हैं. समझ नहीं आ रहा कि हमारा क्या होगा?'

ऐसी ही चिंता अशोक गुप्ता की बातों और चेहरे की शिकन से दिखी. वे थर्मोकोल के कारोबार से हर साल करीब सवा करोड़ रुपये कमा रहे थे. वे कहते हैं कि अभी के हालात देखकर कल का पता नहीं. 61 साल के अशोक 10 साल से इसी बिज़नेस में हैं. काम पैकेजिंग का है पर धंधे पर खतरा मंडराता दिख रहा है. कहते हैं कि हालात देखकर लग रहा है कि मानो व्यापारियों के ऊपर इमरजेंसी लगी हुई है.

हम उन तक भी पहुंचे जिनकी मशीन से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के प्रोडक्ट्स बनते हैं. मिलना हुआ हाईटेक हाइड्रोलिक्स के मालिक सिमरन प्रीत सिंह से. वे उस मशीन के मैन्युफैक्चरर हैं जिनसे सिंगल यूज़ प्लास्टिक के तरह-तरह के प्रोडक्ट बनते हैं. एक ही तरह की मशीन में सांचा बदलिए, प्लास्टिक के प्रोडक्ट बदल जाएंगे. पीएम की घोषणा के बाद से मशीन के आर्डर मिलने कम हो गए हैं. उन्होंने प्लास्टिक बंद होने की बात के असर की तरफ इशारा किया. उन्होंने कहा कि 'एक छोटी से छोटी फैक्ट्री भी कम से कम 200-400 लोगों को फीड करती है. मेरी जैसी इंडस्ट्री दिल्ली में 300-400 हैं जो सिर्फ मशीन का निर्माण कर रही हैं.'

प्लास्टिक के 350 प्रोडक्ट बनाने वाले 46 साल के उमेश कुमार ने पूरी जिंदगी इसी बिज़नेस में गुजार दी. प्लास्टिक की चम्मच से लेकर गिलास और कटलरी बनाने का इनका कारोबार है. कइयों पर पाबंदी फिलहाल नहीं पर कुछ प्रोडक्ट का प्रोडक्शन रोके जाने से चिंता है.

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