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नोटबंदी से असंगठित क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों का रोजगार छिना : भारतीय मजदूर संघ

नोटबंदी की वजह से करोड़ों मजदूरों का रोजगार छिन गया है और तीन करोड़ से ज्यादा को पलायन करना पड़ा है. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बैजनाथ राय ने यह बात कही है. आरएसएस से जुड़े हुए संगठन भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष ने माना कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों का रोजगार छिन गया है.
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NDTV Profit हिंदी11:16 PM IST, 16 Jan 2017NDTV Profit हिंदी
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नोटबंदी की वजह से करोड़ों मजदूरों का रोजगार छिन गया है और तीन करोड़ से ज्यादा को पलायन करना पड़ा है. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बैजनाथ राय ने यह बात कही है. आरएसएस से जुड़े हुए संगठन भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष ने माना कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों का रोजगार छिन गया है.

एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बैजनाथ राय ने कहा, "तीन करोड़ से ज्यादा मजदूर अपने घर लौटने को मजबूर हुए हैं. करीब पांच करोड़ मजदूर कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करते हैं जिसमें से आधे से ज्यादा रोजगार खत्म होने की वजह से पलायन कर गए. अगर इसमें दूसरे असंगठित क्षेत्र पर पड़ने वाले असर को देखा जाए तो हमारा अनुमान है कि नोटबंदी का असर चार से पांच करोड़ मजदूरों के रोजगार पर पड़ा है".

भारतीय मजदूर संघ के नेता मानते हैं कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर असंगठित क्षेत्र पर पड़ा है. उनकी मांग है कि वित्त मंत्री इस साल के बजट में इन बेरोजगार मजदूरों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए बड़ी घोषणाएं करें. पिछले हफ्ते भारतीय मजदूर संघ के नेता वित्त मंत्री अरूण जेटली से मिले और उन्हें अपनी मांगों की लंबी सूची सौंप दी.

बैजनाथ राय ने कहा, "सरकार ने दावा किया है कि नोटबंदी की वजह से काफी फंड सरकार के पास आए हैं. अब सरकार को इसका इस्तेमाल असंगठित क्षेत्र में मजदूरों के लिए पीएफ, ग्रेच्युटी, पेंशन और मेडीकल जैसी सुविधाएं मुहैया कराने पर खर्च करना चाहिए...अनआर्गनाइज्ड वर्कर सेक्टर बोर्ड जैसी सरकारी संस्थाओं को ज्यादा फंड मुहैया कराना होगा."

दूसरे मजदूर संगठनों का रुख कहीं ज्यादा तीखा है. भारतीय मजदूर संघ के अलावा बाकी सभी मजदूर संगठन 28 जनवरी को देशव्यापी प्रदर्शन की तैयारी में हैं.  लेफ्ट से जुड़े संगठन सीटू के महासचिव तपन सेन ने एनडीटीवी से कहा, "नोटबंदी काला धन खत्म करने के लिए नहीं लाई गई. इसका मुख्य मकसद डिजिटलाइजेशन के जरिए लाखों मजदूरों को सब्सिडी के दायरे से बाहर करना है."

जाहिर है, नोटबंदी के संकट बने हुए हैं और सरकार के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं.

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