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पहली तारीख की टेंशन : सैलरी निकालने के लिए जुटे लोग, बैंकों का पर्याप्त कैश का दावा, 10 बातें

नोटबंदी की आठ नवंबर की घोषणा के बाद अपने पहले वेतन के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बैंकों तथा एटीएम बूथों के बाहर गुरुवार सुबह से ही लोगों की लंबी कतार लग गई. लोगों ने एटीएम में रुपये नहीं होने और बैंकों में लंबे इंतजार के बाद भी कम रुपये देने की शिकायत की. उन्होंने कई एटीएम के काम नहीं करने की भी शिकायत की. पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर में सैकड़ों लोग नकदी के लिए एटीएम की कतार में दिखे. यहां सिर्फ तीन मशीनों से ही रुपये निकल रहे थे.
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NDTV Profit हिंदी04:10 PM IST, 01 Dec 2016NDTV Profit हिंदी
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नोटबंदी की आठ नवंबर की घोषणा के बाद अपने पहले वेतन के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बैंकों तथा एटीएम बूथों के बाहर गुरुवार सुबह से ही लोगों की लंबी कतार लग गई. लोगों ने एटीएम में रुपये नहीं होने और बैंकों में लंबे इंतजार के बाद भी कम रुपये देने की शिकायत की. उन्होंने कई एटीएम के काम नहीं करने की भी शिकायत की. पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर में सैकड़ों लोग नकदी के लिए एटीएम की कतार में दिखे. यहां सिर्फ तीन मशीनों से ही रुपये निकल रहे थे.

पूर्वी दिल्ली के ही दिलशाद गार्डन में कई एटीएम खाली पड़े रहे.  इलाके के पांच बैंकों के बाहर भीड़ देखी गई. दिल्ली के नजदीक नोएडा निवासी शिव कुमार सेक्टर 18 में आईसीआईसीआई बैंक की शाखा खुलने से पहले ही बाहर कतार में लग गए. उन्होंने कहा, "हालांकि निकासी की सीमा 24,000 रुपये है, लेकिन बैंक केवल 5,000 रुपये ही दे रहे हैं. मैं यहां पिछले तीन घंटे से खड़ा हूं."

दक्षिण दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में भी लोग बैंक खुलने से पहले ही उसके बाहर खड़े होने लगे। यहां एटीएम बूथ के बाहर भी लंबी कतार देखी गई. खिड़की एक्सटेंशन में एक एटीएम के बाहर कतार में लगी कॉल सेंटर कर्मी नंदिनी गुप्ता ने कहा, "मुझे अपने मकान मालिक, नौकरानी, अखबार वाले और दूसरे लोगों को भुगतान करना है. मैं आश्वस्त नहीं हूं कि मुझे नकदी मिल ही जाएगा, क्योंकि यह रकम डाले जाने के बाद एक घंटे के भीतर खाली हो जाती है." दिल्ली के कनॉट प्लेस में भी एटीएम के बाहर ऐसा ही नजारा रहा.

देशभर में नौकरी पेशा लोगों को 1 से 8 तारीख तक सैलरी मिलती है. महीने के सभी जरूरी खर्च को ध्यान में रखते हुए लोगों की कोशिश ज़्यादा से ज़्यादा कैश निकालने की होगी. माना जा रहा है कि 7 दिसबंर तक नकदी की मांग 80 फीसदी तक बढ़ेगी. बैंकों ने अपने 70 प्रतिशत एटीएम को नए नोटों के हिसाब से सेट कर लिया है. इससे भीड़ एटीएम में भी लगी रहेगी, हालांकि एटीएम से एक दिन में सिर्फ 2500 रुपये ही निकाले जा सकते हैं.

वहीं वित्त मंत्रालय का कहना है कि वेतन के लिए पर्याप्त नकदी है, जो 8 नवंबर को थे उससे डेढ़ सौ फीसदी ज्यादा सौ के नोट आज हैं. अब रिजर्व बैंक सिर्फ पांच सौ के नोट छाप रहा है. वेतन के लिए 30 नवंबर से 7 दिसंबर तक का वक्त रखा है. बुधवार शाम से पांच सौ के ज्यादा नोट मिलने शुरू हुए हैं. आरबीआई ने पे डे की चुनौती से निपटने के लिए डिप्टी गवर्नर SS मुंद्रा की अगुवाई में एक विशेष टीम बनाई है. इस टीम के अधिकारी बैंकों में औचक निरीक्षण करेंगे. आरबीआई ने तय किया है कि बैंकों की जिन ब्रांचों में तनख्वाह और पेंशन के खाते हैं वहां 20 से 30 फीसदी तक ज़्यादा नकदी सप्लाई की जाएगी. ऐसी ब्रांचों में स्टाफ की कमी न हो यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है.

वित्त मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक, बीते दो दिनों से कैश सप्लाई तेज करने पर काम जारी है. वायुसेना के विमानों से नकदी बैंकों तक पहुंचाई जा रही है. विमानों के जरिए 210 टन करंसी नोट आबीआई के अलग-अलग सेंटर तक पहुंचाए गए. इस काम के लिए C-130, C 17, AN 32 विमानो का इस्तेमाल हुआ है. इस चुनौती का सामना करने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर लेने का दावा इंडियन बैंक्‍स एसोसिएशन (आईबीए) के प्रमुख राजीव ऋषि ने किया है. वे मुंबई में NDTV इंडिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जिस शाखा में 100 से अधिक पेंशनर्स अकाउंट्स है वहां पेंशनर्स के लिए अलग कतार हों. इसी के साथ उन्होंने कई एम्प्लायर्स को कहा था कि अपने कर्मचारियों को वे तनख्वाह के बजाए प्री पेड़ कार्ड्स दें. इस आवाहन को सकारात्मक जवाब मिला है.

ऋषि ने बताया कि देश में नकदी की कमी नहीं है. जबकि देश के सभी हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में नकदी पहुंचाना एक बहुत बड़ी चुनौती है. क्योंकि कैश पहुंचाने का काम यातायात सुरक्षा नियमों के अधीन रहकर ही किया जा सकता है. इसीलिए कुछ जगहों पर थोड़ी परेशानी महसूस हो रही है. हालांकि उन्होंने माना कि अभी तक 500 के नोट उतने नहीं हैं जितने 100 या दो हजार के नोट हैं. लेकिन हालात धीरे धीरे बदल रहे हैं.

इन दिनों खाते से राशि निकालने को लेकर बैंक मैनेजर से विशेषाधिकार के इस्तेमाल की बात सामने आई है. उपभोक्ता यह शिकायत करते सुने गए हैं कि किसे कितनी रकम दी जाए ये बैंक मैनेजर आम सहमति से तय कर रहे हैं जिस पर ऋषि ने बताया कि ऐसा अधिकतर लोगों की सहूलियत के लिए ही हो रहा है. ताकि जितना कैश बैंक में उपलब्ध है वो थोड़ा-थोड़ा ही सही लेकिन अधिकतर लोगों को मिल सके. आईबीए की जानकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद 10 नवंबर से 27 नवंबर तक 8 करोड़ 44 हजार 982 रु का लेनदेन हुआ. इसमें से 8 करोड़ 11 लाख करोड़ रु डिपॉजिट हुए हैं. 2 करोड़ 16 लाख करोड़ रु खातों से निकाले गए हैं. जबकि 33 हजार 948 करोड़ रु के नोट बदले गए हैं. नोटबंदी के फैसले के बाद रद्द किए नोटों का मूल्य 14 लाख करोड़ रुपये बताया जा रहा है. ऐसे में क्या सारे नोट बैंकों में जमा होंगे? इस सवाल पर ऋषि ने कहा कि इसकी पुष्टि अभी नहीं हो सकती.

(एजेंसियों से भी इनपुट

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