इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने बिजली मंत्रालय से हस्तक्षेप कर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बिजली की दरों पर नए सिरे से बातचीत न हो. आईबीए ने कहा कि इससे परियोजनाओं पर आर्थिक रूप से बोझ पड़ेगा और बैंकों का डूबा कर्ज और बढ़ेगा.
आईबीए ने बिजली सचिव को पिछले सप्ताह लिखे पत्र में कहा है, 'बिजली खरीद करार (पीपीए) को रद्द करना या उस पर नए सिरे से विचार करना लंबी अवधि के लिए दिए गए ऋण की मूल भावना को प्रभावित करेगा. यह ऋण पीपीए निश्चित मूल्य पर पीपीए के आधार पर दिया गया है. बैंकों ने किसी परियोजना की आकलन पीपीए में अनुबंधित मूल्य के हिसाब से किया है.'
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पत्र में कहा गया है कि यदि राज्य सरकारें पीपीए प्रतिबद्धताओं से पीछे हटती हैं तो संबंधित परियोजना व्यावहारिक नहीं रह पाएगी और ऋण का भुगतान मुश्किल हो जाएगा.
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पत्र में इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियां कोयला आधारित या अक्षय ऊर्जा डेवलपर्स के साथ पीपीए को रद्द करना या उसे नए सिरे से करना चाह रही हैं. उनकी दलील है कि पहले जो दरें तय की गई हैं वह काफी ऊंची हैं. पत्र में उदाहरण देते हुए कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ने हाल में कई पीपीए रद्द किए हैं.
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