दक्षिण भारत में अनंत पद्मनाभन अपने ग्राहकों को 'गोल्ड बैंगल फेस्टिवल' के तहत भारी छूट और मुफ्त उपहार दे रहे हैं लेकिन इसके बावजूद मॉनसून की कमी की वजह से उन्हें बिक्री के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
भारत लगातार दूसरे साल सूखे की मार झेल रहा है जिसकी वजह से सोने की मांग में भारी गिरावट आई है। भारत को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सोने का ग्राहक माना जाता है लेकिन सोने के क्षेत्रीय महासंघ के मुखिया पद्मनाभन का अनुमान है कि 2015 में सोने के आयात में 10 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। सौ साल में चौथी बार भारत को सूखे ने घेर लिया है।
बता दें कि सोने की करीबन दो तिहाई मांग ग्रामीण इलाके से आती है जहां विधिवत बैंकिंग न होने की वजह से निवेश के नाम पर गहनों को ही खरीदा जाता है। पद्मनाभन और ग्रामीण महाराष्ट्र के सुनार नितिन खंडेलवाल का मानना है कि 2014 की अपेक्षा 2015 में सोने के आयात में और कमी आएगी लेकिन सोने के वैश्विक दरों में कमज़ोरी आने की वजह से उम्मीद की जा रही है कि त्यौहारों और शादियों के मौसम में कई भारतीय ग्राहक इस धातु की तरफ खींचे आएंगे।
वहीं गुजरात में कपास की खेती करने वाले के बी जडेजा का कहना है कि कुछ इलाकों में औसत से 32 प्रतिशत कम की बारिश होने की वजह से उनका और बाकी के किसानों का सोना खरीदने का इरादा नहीं है। जडेजा ने फोन पर बातचीत में कहा कि अभी तक उनकी 200 एकड़ ज़मीन की ही सिंचाई हो पाई है। डीज़ल और बाकी चीज़ों पर काफी खर्चा हो जाता है, ऐसे में अस्थिर सोने से ज्यादा वह ज़मीन खरीदना पसंद करेंगे।
इसके अलावा सोने के आयात में लगातार हो रही गिरावट की वजह घर में रखे सोने का किसी योजना में निवेश करना भी बताया जा रहा है। एक सरकारी अफसर के मुताबिक किसी स्कीम में सोना जमा करने पर 2.5 प्रतिशत के अपेक्षित ब्याज से कहीं ज्यादा मिल सकता है। जमा किए गए सोने की बोली लगाई जाएगी जो सेंट्रल बैंक रिज़र्व को फिर से भर देगी या फिर इसे सुनारों को उधार पर भी दिया जा सकता है जिससे आयात में 20 टन सालाना कटौती हो सकती है।