ADVERTISEMENT

मिठाइयों के शौकीनों के लिए अच्छी ख़बर, गिरने वाली हैं कीमतें...

वस्तु एवं सेवाकर बिल यानी जीएसटी की दरें तय कर दी गई हैं. इस बिल के तहत दाल, अनाज और रोजमर्रा के इस्तेमाल में काम आने वाली चीजें सस्ती हो जाएंगी. इसके साथ ही दूध पर यह टैक्स नहीं लगाया जाएगा. लेकिन मोदी सरकार के इस बिल में मिठाई के शौकीन लोगों के लिए बड़ी छूट दी गई है. मिठाई पर सिर्फ 5 फीसदी ही टैक्स लगाया जाएगा. इतने कम टैक्स से जाहिर है मिठाइयां बेहद सस्ती हो जाएंगी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी04:07 PM IST, 19 May 2017NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

वस्तु एवं सेवाकर बिल यानी जीएसटी की दरें तय कर दी गई हैं. इस बिल के तहत दाल, अनाज और रोजमर्रा के इस्तेमाल में काम आने वाली चीजें सस्ती हो जाएंगी. इसके साथ ही दूध पर यह टैक्स नहीं लगाया जाएगा. लेकिन मोदी सरकार के इस बिल में मिठाई के शौकीन लोगों के लिए बड़ी छूट दी गई है. मिठाई पर सिर्फ 5 फीसदी ही टैक्स लगाया जाएगा. इतने कम टैक्स से जाहिर है मिठाइयां बेहद सस्ती हो जाएंगी. इसके अलावा चीनी पर 5 फीसदी से कम टैक्स लगाया जाएगा. अभी तक मिठाइयों के दाम चीनी के कीमतों पर भी निर्भर रहते थे.

हालांकि देखने के बाद यह होगी कि गांव और कस्बों में जो दुकानदार टैक्स नहीं देते नहीं देते थे उन पर 1 जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी बिल का क्या असर पड़ता है क्योंकि जीएसटी में कर चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. आपको बता दें कि जीएसटी परिषद ने जीएसटी के सात नियमों को मंजूरी दी है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली परिषद ने बैठक के पहले सत्र में वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत नियमों को भी मंजूरी दी गई है. 

जीएसटी एक जुलाई से लागू किए जाने की योजना है. परिषद में सभी राज्‍यों के वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि शामिल हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 80 से 90 प्रतिशत वस्तुओं, सेवाओं के बारे में यह तय हो गया है कि उन्हें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के कर ढांचे में कहां रखा जाएगा. फिटमेंट इस तरीके से किया गया है कि लोगों पर नई कर व्यवस्था के कारण कर का बोझ नहीं बढ़े.

गौरतलब है कि जीएसटी के पीछे भारत की अर्थव्यवस्था को एकल बाजार प्रणाली के तहत लाने की कोशिश की जा रही है. अभी तक हर राज्य में अलग-अलग टैक्स लगाने का प्रावधान था जिससे कारोबारियों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता था. इसके अलावा वस्तुओं की कीमतों में भी काफी अंतर आ जाता था. इस टैक्स प्रणाली में राज्यों के खजाने में काफी राजस्व जाता था. लेकिन अब इसकी पूर्ति केंद्र सरकार को करना होगा.

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT