ADVERTISEMENT

बिजली, दूरसंचार और खनन क्षेत्र सबसे ज्यादा कर्जग्रस्त, बैंक इन क्षेत्रों को नहीं दे पा रहे हैं उधार : एसोचैम

बिजली, दूरसंचार और खनन क्षेत्र अत्यधिक कर्जग्रस्त हैं और बैंक इन क्षेत्रों को उधार नहीं दे पा रहे हैं. कर्जदाता और देनदार दोनों ही उदासीन हैं और आगे भी ऐसी ही स्थिति जारी रहने की संभावना है, जब तक कि बैंक अपने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जो) की समस्या दूर नहीं कर लेते.
NDTV Profit हिंदीIANS
NDTV Profit हिंदी10:59 AM IST, 14 May 2017NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

बिजली, दूरसंचार और खनन क्षेत्र अत्यधिक कर्जग्रस्त हैं और बैंक इन क्षेत्रों को उधार नहीं दे पा रहे हैं. कर्जदाता और देनदार दोनों ही उदासीन हैं और आगे भी ऐसी ही स्थिति जारी रहने की संभावना है, जब तक कि बैंक अपने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (फंसे हुए कर्जो) की समस्या दूर नहीं कर लेते. एसोचैम के एक पेपर में यह बात कही गई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए पेपर में कहा गया है कि खनन क्षेत्र मांग और कीमतों में गिरावट से जूझ रहा है. वित्त वर्ष 2016-17 में बैंकों द्वारा इस क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज में 11.5 फीसदी की गिरावट हुई और 2017 के मार्च महीने में कुल 345 अरब रुपये का कर्ज दिया गया, जबकि इसके पिछले साल के मार्च महीने में 390 अरब रुपये के कर्ज दिए गए थे.
 
एसोचैम के पेपर में कहा गया, "कोयले की मांग घटी है और तापीय बिजली संयंत्र को लेकर निराशाजनक दृष्टिकोण है. इन संयंत्रों ने मांग बढ़ने और अच्छे कारोबार की संभावना को देखते हुए अपनी क्षमता में वृद्धि की थी. लेकिन अब कोयला और कोयला आधारित बिजली संयंत्र दोनों अनिश्चितता के शिकार हैं. इसलिए इन क्षेत्रों में अब विस्तार के लिए कर्ज लेने की भूख नहीं दिखती."
 
वहीं, बिजली क्षेत्र में कर्ज में 9.4 फीसदी की कमी देखी गई है. इस क्षेत्र को साल 2017 के मार्च में 5256 अरब का कर्ज मिला, जबकि एक साल पहले यह 5799 अरब रुपये था. यह क्षेत्र भी कर्जग्रस्त है और बिजली की कीमतें ना बढ़ने से परेशान है. सरकारी वितरण कंपनियां बिजली के दाम नहीं बढ़ाना चाहती है. वहीं, सौर ऊर्जा से भी इन्हें प्रतिस्पर्धा मिल रही है, जिसे सरकार सब्सिडी दे रही है.
 
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने बताया, "दूरसंचार क्षेत्र में स्पेक्ट्रम की बोली और टैरिफ में तीव्र प्रतिस्पर्धा के कारण दूरसंचार क्षेत्र को भी बैंकों से मिलने वाले कर्ज में गिरावट आई है." पेपर में बताया गया कि दूरसंचार क्षेत्र को बैंकों से मिलने वाले कर्ज में 6.8 फीसदी की गिरावट आई और यह 913 अरब से घटकर 851 अरब रही. हालांकि लोहा और स्टील क्षेत्र को बैंकों से मिलने वाले कर्ज में 2.6 फीसदी की बढ़त देखी गई और यह 3155 अरब से बढ़कर 3195 अरब हो गई.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV Profit हिंदी
लेखकIANS
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT