कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अब अपना धन बैंकों की पांच साल की सावधि जमा, अल्पकालिक प्रतिभूतियों और सर्टिफिकेट ऑफ डिपाजिट में रख सकता है। ईपीएफओ की शीर्ष नीति निर्माता संस्था केन्द्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने संगठन को इसके लिए हरी झंडी दिखा दी है।
केन्द्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में ईपीएफओ को अधिक आजादी देते हुए निवेश के लिए अतिरिक्त वित्तीय साधनों की मंजूरी दी गई। हालांकि, मंजूर किए गए इन प्रस्तावों पर अमल शुरू होने से पहले सरकार भी इसे मंजूरी देगी।
ईपीएफओ के पास साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का कोष है और अपने सदस्यों को उनके भविष्य निधि कोष पर ज्यादा से ज्यादा ब्याज देने के लिए उसे आय बढ़ाने की जरूरत है।
प्रस्ताव के अनुसार ईपीएफओ को रिजर्व बैंक द्वारा मंजूरी प्राप्त उधार लेन-देन से संबंधित रहन दायित्व (सीबीएलओ) में भाग लेने की अनुमति होगी। इस फैसले से ईपीएफओ को अल्पकालिक प्रतिभूतियों में निवेश में लचीलापन मिलेगा। इसके अलावा ईपीएफओ बैंकों के सर्टिफिकेट ऑफ डिपाजिट (सीडीएस) में भी निवेश कर सकेगा। बैंक बाजार से धन जुटाने के लिए इन्हें जारी करते हैं, इनपर ब्याज ज्यादा मिलता है और इन्हें बाजार में खरीदा बेचा जा सकता है।