वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों (सीपीएसई) की पूंजी व्यय योजना की समीक्षा की और उनसे व्यय बढ़ाने को कहा ताकि अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके. इसका कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर के घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आना है. एक घंटे की इस बैठक में विभिन्न सार्वजनिक कंपनियों ने अपने पूंजीगत व्यय की स्थिति रिपोर्ट पेश की. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीपीएसई से मौजूदा वित्त वर्ष के लिए पूंजीगत व्यय लक्ष्य पर कायम रहने को कहा गया है.
बैठक में विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों के साथ साथ ओएनजीसी, बीपीसीएल, एचपीसीएल, एनटीपीसी, सेल, कोल इंडिया व हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड सहित अन्य कंपनियों के आला अधिकारी मौजूद थे.
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एनएलसी इंडिया के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक एस के आचार्य ने बैठक के बाद कहा कि यह बैठक पूंजीगत व्यय के बारे में थी और चूंकि देश वृद्धि की राह पर है इसलिए कंपनियों को पूंजी खर्च बढ़ाने की सलाह दी गई है. उन्होंने कहा कि बैठक में देश को और उंची वृद्धि दर पर ले जाने के लिए पूंजीगत व्यय बढाने की प्रतिबद्धता जताई गई.
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क्या कंपनियों से विशेष लाभांश की मांग की गई यह पूछे जाने पर आचार्य ने कहा कि लाभांश दिशा निर्देशों के अनुसार ही होगा. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के चेयरमैन के प्रबंध निदेशक एम वी गौतम ने कहा, 'सीपीएसई अपने सालाना पूंजी व्यय को पहले ही बढ़ा चुकी है. सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हम पटरी पर हैं. हमें तो पहले ही महत्वाकांक्षी परियोजनाएं दी गई हैं और सरकार अब समीक्षा कर रही है. निजी निवेश में कमी के बीच सार्वजनिक खर्च व सीपीएसई से निवेश के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों को बल मिलने की उम्मीद है. बजटीय अनुमानों के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में उपक्रम व अन्य निवेश 67,529 करोड़ रुपये रहेगा.
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