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अरुण जेटली ने कहा, बैंकों को परेशानी में डालने वाले डिफॉल्टर चैन की नींद नहीं सो सकते

सार्वजनिक क्षेत्र के दस बैंकों को मार्च की तिमाही में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा होने के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकों को अधिक वित्तीय समर्थन का वादा किया है और चेताया है कि बैंकरों को परेशानी में डालने वाले चूककर्ताओं (डिफाल्टरों) को चैन की नींद सोने की छूट नहीं दी जा सकती।
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NDTV Profit हिंदी07:04 PM IST, 05 Jun 2016NDTV Profit हिंदी
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सार्वजनिक क्षेत्र के दस बैंकों को मार्च की तिमाही में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा होने के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकों को अधिक वित्तीय समर्थन का वादा किया है और चेताया है कि बैंकरों को परेशानी में डालने वाले चूककर्ताओं (डिफाल्टरों) को चैन की नींद सोने की छूट नहीं दी जा सकती।

व्यापारिक घाटे के कारण एनपीए बढ़ा
जेटली ने इसके साथ ही इन सुझावों को भी खारिज कर दिया कि सार्वजनिक बैंकों का भारी घाटा ‘कंकाल निकलने’ के समान है। उन्होंने कहा कि इन बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) कुछ क्षेत्रों में व्यापार संबंधी घाटे के कारण हैं न कि घपलों के कारण। जेटली निवेश आकर्षित करने के लिए छह दिन की यात्रा पर जापान आए हुए थे। उन्होंने कहा कि उक्त घाटा फंसे कर्ज के लिए प्रावधान के कारण हुआ और एसबीआई व पीएनबी सहित ज्यादातर बैंकों ने परिचालनगत स्तर पर अच्छा मुनाफा कमाया।

पारदर्शी बैलेंस शीट कारोबार के लिए श्रेष्ठ
वित्त मंत्री ने कहा,‘ इन बैंकों की बैलेंस शीट देखें। पीएनबी ने परिचालन के आधार पर अच्छा मुनाफा कमाया, एसबीआई को अच्छा मुनाफा रहा। केवल पूंजीगत प्रावधानों के कारण ही यह घाटे की तरह नजर आ रहा है।’ उन्होंने कहा कि एनपीए या फंसा हुआ कर्ज हमेशा से ही रहा है। उन्होंने कहा,‘ या तो आप इसे ढंके रहेंगे या फिर इसे बैलेंस शीट में दिखाएंगे। मेरी राय में पारदर्शी बैलेंस शीट कारोबार करने का श्रेष्ठ तरीका है और बैंक अब वही कर रहे हैं।’

जरूरत के मुताबिक बैंकों को दी जाएगी मदद
जेटली ने कहा,‘ मैं बहुत स्पष्ट हूं कि सरकार बैंकों को पूरी तरह मजबूत करेगी और जहां भी जरूरत होगी बैंकों का पूरी तरह समर्थन किया जाएगा। मैंने बजट में एक आंकड़ा दिया था लेकिन जरूरत पड़ने पर मैं इससे अधिक राशि पर विचार करने को तैयार हूं।’ बैंकों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में उन्होंने कहा कि दिवाला कानून सशक्तिकरण का एक कदम है जबकि रिजर्व बैंक की रणनीतिक ऋण पुनर्गठन प्रणाली भी है।

उल्लेखनीय है कि जेटली सोमवार को सार्वजनिक बैंकों व वित्तीय संस्थानों के कामकाज की त्रैमासिक समीक्षा करने वाले हैं।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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