कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि देश के कई भागों में सूखे के बावजूद भारत का अनाज उत्पादन 2012-13 के फसल वर्ष में 25 करोड़ टन को पार कर गया है।
घरेलू बीज कंपनियों के संगठन भारतीय राष्ट्रीय बीज संघ (एनएसएआई) द्वारा गुड़गांव में आयोजित दो दिवसीय भारतीय बीज सम्मेलन में पवार ने कहा, हमने पिछले साल 26 करोड़ टन अनाज का उत्पादन किया था। इस साल महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में सूखे के बावजूद 25 करोड़ टन का स्तर पार कर लिया है। उन्होंने कहा कि इस साल का उत्पादन घरेलू मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है। 2012-13 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए सरकार का दूसरा अनुमान आज दिन में जारी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश को दलहन और खाद्य तेल के मामले में आयात पर निर्भरता कम करने की जरूरत है।
पवार ने कहा, वित्त मंत्री दलहन और खाद्य तेल के ज्यादा आयात के संबंध में चिंतित हैं। हमें इन दोनों जिंसों का उत्पादन बढ़ाना होगा, जिसके लिए बीज में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल और अन्य सहायता की जरूरत है। भारत में जितने तेल और दलहन की जरूरत होती है, उसका 50 फीसदी हिस्सा आयात करना होता है।
कृषि में चार फीसदी की वृद्धि प्राप्त करने के लिए पवार ने कहा कि बीज समेत सभी महत्वपूर्ण कड़ी पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, बीज कृषि का महत्वपूर्ण तत्व है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को बेहतर उत्पाद पेश करने, सरकार के बीज बदलने के प्रयास में भागीदारी करनी होगी और यह सुनिश्चत करना होगा कि हम खाद्य संकट के दौर में वापस न लौटें।
दलहन और तिलहन जैसी फसलों में निजी क्षेत्र की भागीदारी में कमी को रेखांकित करते हुए मंत्री ने कहा, दलहन के संकर बीज तैयार करने में प्रौद्योगिकी संबंधी बाधाएं हैं, लेकिन तिलहन फसलों के संबंध में जो सफलता मिली है उसे तेजी से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। नए बीज विधेयक के संबंध में पवार ने कहा, महत्वपूर्ण विधेयक लंबे समय से लंबित है। उम्मीद है कि बजट सत्र में विधेयक पर चर्चा होगी। विधेयक से उद्योग की कई दिक्कतें दूर होंगी।