जीएसटी पर शुक्रवार को संसद में रखे गए नोटिफिकेशन में अगले 5 साल में महंगाई की दर को औसतन 4 फीसदी रखने की बात है. जाहिर है तब तक देश में जीएसटी लागू हो चुका होगा. ऐसे में कांग्रेस ने जीएसटी रेट का सवाल उठाने में देरी नहीं की. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जीएसटी बिल का अध्ययन किया है और उनकी राय है कि जीएसटी स्टैंडर्ड रेट 18 फीसदी रखना सही होगा.
गरीबों पर कम हो कर का बोझ
कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने एनडीटीवी से कहा "हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने अध्ययन किया है कि स्टैंडर्ड जीएसटी रेट 18% सही रेट होगा. जो सामान गरीब लोग इस्तेमाल करते हैं उस पर जीएसटी का लो रेट रखा जाए 12% से 14%."
जीएसटी काउंसिल की जिम्मेदारी
सरकार ने जवाब देने में देरी नहीं की. रेल मंत्री ने कहा रेट जीएसटी काउंसिल ही तय करेगी. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने एनडीटीवी से कहा "वित्त मंत्री ने राज्य सभा में कहा है कि जीएसटी रेट जीएसटी काउंसिल ही तय करेगी."
जीएसटी रेट को लेकर चर्चा का दौर
जीएसटी बिल पारित होने के बाद अब राजनीतिक बहस की दिशा बदल रही है. अब सबसे ज्यादा चर्चा जीएसटी रेट को लेकर है, क्योंकि किस महत्वपूर्ण सेक्टर में जरूरी सामानों की कीमतों पर कितना असर पड़ेगा, यह इस बात पर काफी हद तक निर्भर करेगा कि जीएसटी रेट कितना तय किया जाता है.
ज्यादा टैक्स लगाने से कम हो जाते हैं वोट
अब राजनीतिक दलों में भी जीएसटी रेट को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने माना कि ज्यादा टैक्स लगाने से वोट कम हो जाते हैं. हालांकि उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी आर्थिक मामलों पर पॉलिटिकल स्टैंड नहीं लेती है. जबकि समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने जीएसटी रेट के बारे में पूछे जाने पर एनडीटीवी से इशारों में कहा "जो सरकार आम आदमी को ध्यान में नहीं रखेगी उसे आम आदमी भी ध्यान में नहीं रखेगा."
अब सबकी निगाह इस बात पर है कि जीएसटी रेट का महंगाई पर कितना असर पड़ेगा.