सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) पर गठित विशेष समिति ने शनिवार को सुझाव दिया कि सरकार को इसका अनुपालन 2016-17 तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए और निवेश बढ़ाने के लिए शेयर हस्तांतरण पर पूंजीलाभ कर समाप्त कर देना चाहिए।
समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट वित्त मंत्रालय में जमा कर दी है। रिपोर्ट में ऐसे कई सुझाव दिए गए हैं, जिनसे निवेशकों की चिंता दूर हो सकती है। कर विशेषज्ञ पार्थसारथी शोम इस समिति के अध्यक्ष हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, "गार को तीन सालों के लिए टाल देना चाहिए। लेकिन 2016-17 की घोषणा अभी कर देनी चाहिए। इसके प्रभाव स्वरूप गार 2017-18 से लागू होगा। मुक्त पूंजी प्रवाह वाले वैश्विक माहौल में आज पहले से घोषणा करना एक अंतरराष्ट्रीय रिवाज है।"
समिति ने निवेश आकर्षित करने के लिए पूंजीलाभ कर हटाने का भी सुझाव दिया।
वित्त मंत्रालय ने शनिवार को गार पर विशेषज्ञ समिति के विचारार्थ विषय का भी दायरा बढ़ा दिया। इसका मकसद इसमें सभी अनिवासी कर दाताओं को समाहित करना है।
वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया, "मसौदा रिपोर्ट ने आयकर अधिनियम, 1961 में कुछ निश्चित संशोधन करने, आयकर नियम, 1962 के तहत दिशानिर्देश जारी करने, गार प्रावधान को स्पष्ट करने वाला परिपत्र जारी करने और कुछ अन्य कदमों की सिफारिश की है।"
बयान में कहा गया, "अब सिर्फ विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की जगह सभी अनिवासी कर दाताओं को शामिल करने के लिए समिति के विचारार्थ विषय का दायरा बढ़ाने का फैसला किया गया है।"
समिति ने सम्बंधित पक्ष से 15 सितम्बर तक मसौदा रिपोर्ट पर राय मांगी है। इसके बाद वह इस माह के आखिर तक अंतिम रिपोर्ट जमा करेगी।
गार पर समिति का गठन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जुलाई में किया था, जब उनके पास वित्त मंत्रालय का प्रभार था।