सरकार ने कहा है कि 30 सितंबर तक गैस के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे और तब तक वह निवेशकों तथा जनता के हितों को देखते हुए प्राकृतिक गैस मूल्य निर्धारण का नया फॉर्मूला भी तैयार कर लेगी।
राज्यसभा में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि एनडीए सरकार ने जनता के हितों और स्थायी संसदीय समिति की सिफारिशों के मद्देनजर प्राकृतिक गैस के मूल्य निर्धारण के फार्मूले की समीक्षा करने का निर्णय किया। पूरक प्रश्नों के जवाब में उन्होंने कहा कि इस अवधि में गैस के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे।
उन्होंने विस्तृत ब्योरा दिए बिना कहा कि 30 सितंबर तक जहां गैस के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे, वहीं निवेशकों तथा जनता के हितों को देखते हुए प्राकृतिक गैस मूल्य निर्धारण का नया फॉर्मूला भी तैयार कर लिया जाएगा। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने पिछले साल दिसंबर में तय किया था कि 1 अप्रैल से घरेलू गैस के दाम रंगराजन समिति द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले के मुताबिक होंगे।
यह फॉर्मूला 10 जनवरी को अधिसूचित किया गया था, लेकिन नई गैस दरों की घोषणा होने से पहले ही आम चुनावों की घोषणा कर दी गई और यह मुद्दा नई सरकार के फैसला करने के लिए छोड़ दिया गया। नई सरकार का गठन 25 जून को हुआ, जिसने कार्यान्वयन सितंबर तक रोक दिया, ताकि इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जा सके। वर्तमान गैस निर्धारण फॉर्मूले को नई उत्खनन लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) के तहत वर्ष 2007 में मंजूरी दी गई थी और यह मार्च, 2014 तक वैध बना रहा था।
गैस निर्धारण फार्मूले की समीक्षा के लिए सरकार ने मई, 2012 में सी रंगराजन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की। समिति की सिफारिशों के आधार पर इस साल जनवरी में घरेलू प्राकृतिक गैस मूल्य निर्धारण दिशानिर्देश अधिसूचित किए गए।
प्रधान ने बताया कि देश में गैस की कई मूल्य निर्धारण व्यवस्था है। ओएनजीसी और ओआईएल के नामित ब्लॉकों से उत्पादित प्राकृतिक गैस या तो मौजूदा या नए फील्डों से आती है। इन दोनों के लिए अलग मूल्य व्यवस्था - प्रशासनिक मूल्य निर्धारण व्यवस्था और गैर प्रशासनिक मूल्य निर्धारण व्यवस्था है।