जनरल मोटर्स के भारतीय बाजार से बाहर निकलने को लेकर विरोध कर रहे उसके डीलरों का कहना है कि इससे करीब 15,000 लोगों की नौकरियां जाएंगी और सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए. कंपनी का भारत में अपनी कारों की बिक्री नहीं करने का निर्णय एक 'सोची समझी साजिश' है. डीलरों ने अपने कर्मचारियों समेत कंपनी से पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की है.
यहां जंतर-मंतर पर विरोध कर रहे एक डीलर ने कहा, "यह स्पष्ट षड़यंत्र का मामला है. जब वह भारत में अपना परिचालन बंद करने की योजना बना रहे थे तब उन्होंने हमें अंधेरे में रखा. कंपनी के करीब 40 डीलरों ने अपने कर्मचारियों समेत मंगलवार को यहां कंपनी के निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
एक डीलर ने कहा कि सरकार ने कंपनी को भारत में कारोबार करने के लिए कई तरह की सुविधाएं दीं. अब सरकार से कोई आए जो इस सबको वापस ले. इससे डीलरों को 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा और करीब 15,000 लोगों की नौकरियां जाएंगी. उन्होंने कहा कि हमने फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल्स डीलर्स एसोसिएशंस (फाडा) के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य मंत्रालयों को इस बारे में लिखा है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे.
फाडा के महासचिव गुलशन आहूजा ने कहा कि वह यह चाहते हैं कि यह मामला सहमति से निबट जाए. लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो हम कानूनी रास्ता भी अख्तियार कर सकते हैं. संपर्क करने पर जनरल मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी अपने डीलर सहयोगियों को एक पारदर्शी सहयोग पैकेज देगी जो सभी डीलरों के लिए होगा.
गौरतल है कि मई माह में जनरल मोटर्स ने भारत से कारोबार समेटने की बात कही थी. इसका मतलब यह है कि अब भारत में स्पार्क, बीट, एवियो, शेवरले की बिक्री बंद हो जाएगी. इसके अलावा क्रूज़ और ट्रेल ब्लेज़र भी नहीं बिकेंगी.
भारत में जनरल मोटर्स के 96 डीलर कंपनी की मुआवजे की पेशकश से नाराज हैं. ये डीलर देशभर में 140 शोरूम चलाते हैं. डीलर कंपनी को अदालत में घसीटने की तैयारी कर रहे हैं.
(इनपुट भाषा से भी)