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मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ घटेगी सोने की मांग : रंगराजन

रंगराजन ने कहा कि मुद्रास्फीति कम होने से वित्तीय उत्पादों में निवेश सोने के मुकाबले अधिक आकर्षक हो जाएगा, जिससे सोने की मांग घट सकती है।
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NDTV Profit हिंदी03:18 PM IST, 15 May 2013NDTV Profit हिंदी
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प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने आज कहा कि सामान्य मुद्रास्फीति में गिरावट आने के साथ ही सोने की मांग में कमी आने लगेगी।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति कम होने से वित्तीय उत्पादों में निवेश सोने के मुकाबले अधिक आकर्षक हो जाएगा, जिससे सोने की मांग घट सकती है।

रंगराजन ने कहा कि सोने की मांग को काबू में रखने के लिये उठाये गये तमाम कदमों से चालू वित्त वर्ष के दौरान चालू खाते के घाटे में 0.4-0.5 प्रतिशत की कमी आएगी।

एसोचैम द्वारा आयोजित स्वर्ण सम्मेलन के माके पर रंगराजन ने कहा, सोने की मांग कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने कुछ कदम उठाए हैं। इन पहलों के साथ साथ मुद्रास्फीति भी कम हुई है, जिससे वित्तीय योजनाओं पर मुनाफा अधिक आकर्षक होने लगा है। इससे सोने की मांग को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के प्रमुख ने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट के संकेत हैं इसलिए वित्तीय योजनाओं का आकर्षण अधिक होगा।
अप्रैल में मुद्रास्फीति की दर साढ़े तीन साल के न्यूनतम स्तर 4.89 प्रतिशत तक नीचे आ गई।

अप्रैल में ज्यादा सोने के आयात पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, सोने के आयात पर तुरंत नियंत्रण की आवश्यकता बढ़ गई है। हाल में सोने की मांग में हुई वृद्धि से मुश्किलें बढ़ी हैं इसलिए इसे कम करने की जरूरत है। गिरती वित्तीय बचत को वापस वृद्धि के रास्ते पर लाने तथा सोने की मांग नियंत्रित कर चालू खाते के घाटे को सीमित रखकर वृद्धि को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले कदम के तौर पर विश्व के सबसे बड़े उपभोक्ता देश भारत में सोने की मांग को 1,000 टन सालाना के सालाना स्तर से घटाकर 700 टन करने जरूरत है। कुछ साल पहले इसी स्तर पर सोने की मांग थी।

रंगराजन ने कहा कि मुद्रास्फीति पर अंकुश और वित्तीय योजनाओं पर मुनाफा बढ़ाना सोने की मांग को काबू में रखने के सबसे अच्छे तरीके हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंक जमा से लेकर म्युचुअल फंड तक वित्तीय उत्पाद पर पर्याप्त मुनाफा मिले ताकि निवेशकों सोने को छोड़कर इन उत्पादों की ओर आकर्षित हों।

उन्होंने कहा कि जहां तक सोना खरीद कर रखने की प्रवृत्ति को कम करने का सवाल है तो सोने से जुड़ी निवेश योजनाओं और मुद्रास्फीति सूचकांक से जुड़े बांड को भी फिलहाल सोने का मजबूत विकल्प माना जा रहा है।

यह पूछने पर कि क्या आने वाले दिनों में सोने पर और नियंत्रण लगाया जाएगा रंगराजन ने कहा, इस बारे में सरकार और रिजर्व बैंक काफी सतर्क हैं... आयात शुल्क बढ़ाने जैसी कुछ राजकोषीय और प्रशासनिक पहल की जा सकती और हाल में मांग कम करने के लिए ऐसे कदम उठाए भी गए हैं। सोने के बढ़ते आयात से देश के चालू खाते का घाटा बढ़ा है, जो 2012-13 में बढ़कर 1017 टन हो गया। यह चालू खाते के घाटे के 72 प्रतिशत के बराबर था। इससे पहले वर्ष 2000-01 में 471 टन सोने का आयात हुआ था।

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