सोने की कीमतों में तेजी ने निवेशकों पिछले एक साल में 15 प्रतिशत का रिटर्न दिया, जबकि इस दौरान शेयर में निवेश करने वाले लोगों को न के बराबर रिटर्न मिला।
हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक निवेशकों को अपना पैसा शेयर और म्यूचुअल फंड जैसी प्रतिभूतियों में लगाने की सलाह देते रहे हैं, क्योंकि सोना आयात से सरकार का विदेश व्यापार का भुगतान संतुलन बिगड़ता है। सितंबर, 2011 में सोने की कीमत 27,400 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो वर्तमान में 32,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है।
वहीं दूसरी ओर, शेयर बाजार के रुख का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि सभी वर्गों में करीब 3,000 कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले लोगों का निवेश इस एक साल में जस का तस है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर केसी चक्रवर्ती ने हाल ही में कहा था, जमा पर कम ब्याज मिलने की वजह से लोग सोने में निवेश कर रहे हैं। लेकिन, गरीब लोगों को सोने में कभी निवेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि जब भी वे सोना खरीदते हैं वह या तो सूदखोरों के हाथ में जाता है या फिर बेटी की शादी में दे दिया जाता है।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भी अधिक से अधिक लोगों को सोने की बजाय वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किए जाने का पक्ष लिया था। हालांकि, निवेशकों ने सोने में पैसा लगाना जारी रखा है।
उल्लेखनीय है कि सेंसेक्स अपने सर्वोच्च स्तर 21,206.77 अंक से करीब 20 प्रतिशत नीचे है। सेंसेक्स ने सर्वोच्च स्तर जनवरी, 2008 में हासिल किया था। ज्यादातर विश्लेषकों को फिलहाल शेयर बाजार में कोई तेज सुधार की उम्मीद नहीं दिखती।