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तीन महीने के लिए ब्याज दरें यथावत : PPF और स्मॉल सेविंग स्कीम्स में निवेश करना हैं तो अभी कर लें...

साल 2017 की शुरुआत में सरकार की ओर से लोगों को तोहफा दिया गया है. सरकार ने लोक भविष्य निधि (PPF) और डाकखानों (Post Office) के जरिए परिचालित किसान विकास पत्र जैसी अन्य लघु बचत योजनाओं (Small saving scheme) पर ब्याज दर जनवरी-मार्च तिमाही में अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया है. सरकार ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है जब कमर्शल बैंक ब्याज दरें घटा रहे हैं.
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NDTV Profit हिंदी01:00 PM IST, 03 Jan 2017NDTV Profit हिंदी
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साल 2017 की शुरुआत में सरकार की ओर से लोगों को तोहफा दिया गया है. सरकार ने लोक भविष्य निधि (PPF) और डाकखानों (Post Office) के जरिए परिचालित किसान विकास पत्र जैसी अन्य लघु बचत योजनाओं (Small saving scheme) पर ब्याज दर जनवरी-मार्च तिमाही में अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया है. सरकार ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है जब कमर्शियल बैंक ब्याज दरें घटा रहे हैं.

बता दें कि सरकार ने लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों की तिमाही समीक्षा की नयी व्यवस्था पिछले साल अप्रैल से शुरू की है. श्यामला गोपीनाथ पैनल द्वारा दिए गए फॉर्म्युला के बाद यह व्यवस्था की गई. वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि पीपीएफ पर आठ प्रतिशत सालाना की मौजूदा ब्याज दर जनवरी-मार्च तिमाही में भी बनी रहेगी. पांच साल की परिपक्वता वाले राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) पर भी यही दर लागू होगी. इसी प्रकार 112 महीनों की परिपक्वता वाले किसान विकास पत्र पर ब्याज दर 7.7 प्रतिशत सालाना पर अपरिवर्तित रखी गई है.

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वैसे पूरे के पूरे फाइनेंशल सिस्टम में इस साल ब्याज दरों में कटौती देखी जा रही है. ईपीएफओ ने भी हाल ही में चार करोड़ से अधिक अंशधारकों के प्रॉविडेंट फंड (EPF) पर दिए जाने वाले ब्याज में कटौती करते हुए इसे 8.65 फीसदी (चालू वित्तीय वर्ष) कर दिया है. जबकि साल 2015-16 को ईपीएफ पर 8.8 फीसदी ब्याज दिया गया.

सुकन्या समृद्धि खाता योजना पर 8.5 प्रतिशत और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (पांच साल) पर 8.5 प्रतिशत सालाना की ब्याज दर में भी बदलाव नहीं किया गया है. पांच साल की आवर्ती जमाओं (RD) पर जनवरी-मार्च तिमाही में ब्याज दर 7.3 प्रतिशत पर बनी रहेगी. इस समय बचत खातों पर लोगों को चार प्रतिशत की दर से और एक से पांच वर्ष की मियाद बैंक जमाओं (FD) पर 7-7.8 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है.

पीएफ डिपॉजिट और पीपीए के रेट्स में कमी देखे जाने के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि ये निवेश के लिए आकर्षक विकल्प रहते हैं. निवेश के ये दोनों ही विकल्प ईईई (EEE) कैटिगरी यानी एक्जेम्प्ट, एक्जेम्प्ट, एक्जेम्प्ट (छूट) के तहत आते हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि ये दोनों ही टैक्स छूट के दायरे में आते हैं.

(न्यूज एजेंसी भाषा से इनपुट)

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