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वस्तु एवं सेवाकर (GST) : 1 जुलाई से लागू होने वाले इस टैक्स से जुड़े हर सवाल का जवाब...

यह केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए गए 20 से अधिक अप्रत्यक्ष करों के एवज में लगाया जा रहा है. जीएसटी 1 जुलाई से पूरे देश में लागू किया जाना है. जीएसटी लगने के बाद कई सेवाओं और वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स समाप्त हो जाएंगे.
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NDTV Profit हिंदी12:23 PM IST, 11 May 2017NDTV Profit हिंदी
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जीएसटी (GST) भारत सरकार की नई प्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जोकि 1 जुलाई 2017 से लागू हो रही है. जीएसटी का पूरा नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) है. यह केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए गए 20 से अधिक अप्रत्यक्ष करों के एवज में लगाया जा रहा है. जीएसटी 1 जुलाई से पूरे देश में लागू किया जाना है. जीएसटी लगने के बाद कई सेवाओं और वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स समाप्त हो जाएंगे.

किन्हीं वस्तुओं के उत्पादन से लेकर उसके उपभोक्ता के हाथों में पहुंचने के बीच कई प्रकार के टैक्स अब तक लगते रहे हैं. इस एक टैक्स के लगने से ये अलग अलग तरह के टैक्स समाप्त हो जाएंगे या यूं कहें कि किसी वस्तु या सेवा के आपके हाथों तक पहुंचने में लगने वाले विभिन्न प्रकार के कर अब इस कर के भीतर ही समो लिए जाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे विभिन्न चरणों में लगे व्यापारियों या कारोबारियों को कोई घाटा होगा. इस आखिर स्टेज पर लगने वाले टैक्स में सभी बेनिफिट समाहित होंगे. जाहिर है कि वस्तु एवं सेवाओं पर लगने वाला इस टैक्स की अलग अलग सामान व सेवा पर अलग अलग मद होगी. 

आइए आपको बताएं कि इसके तहत कौन कौन से टैक्स आएंगे और यह किस वर्ग के लोगों पर क्या असर डालेगा. तो आइए सबसे पहले यह जानें कि विभिन्न जीएसटी करों के बारे में जिनमें अन्य कर समाहित कर दिए जाएंगे. 

वर्तमान में लागू ये टैक्स आगे चलकर जीएसटी में सम्मिलित कर दिए जाएंगे : 
सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, अडिशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, अडिशनल कस्टम्स ड्यूटी, अडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम्स. 

राज्य स्तर पर मौजूद ये टैक्स जीएसटी में सम्मिलित कर दिए जांएगे : 
स्टेट वैट/सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर (स्थानीय निकाय द्वारा लगाए जाने वाले करों के अतिरिक्त), सेंट्रल सेल्स टैक्स (वह जो केंद्र द्वारा लगाया जाता है और राज्यों द्वारा वसूला जाता है), ओकट्राई और एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स, सट्टे, लॉटरी और जुए पर टैक्स.

जीएसटी को लागू करने के बाद इससे जुड़े सभी स्तरों पर इसका नफा होगा. जैसे कि विभिन्न संबंधित राज्यों, केंद्र सरकार, सामान व सेवाओं के निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं, और इस चेन के आखिरी चरण पर मौजूद उपभोक्ता को भी इसका लाभ मिलेगा. आइए एक नजर में जानें कि किसे कितना किस प्रकार से फायदा पहुंचेगा :

बिजनेस और इंडस्ट्री को इससे क्या लाभ होगा- जीएसटीएन यानी माल एवं सेवाकर नेटवर्क (BGSTN) के जरिए जीएसटी के पूरे के पूरे सिस्टम को बूस्ट मिलेगा. सभी करदाताओं के लिए रजिस्ट्रेशन, रिटर्न्स, पेमेंट आदि से जुड़ी  सभी सेवाओं को जीएसटीएन के जरिए प्राप्त किया जा सकेगा जिससे जीएसटी का अनुपालन ज्यादा आसान और पारदर्शी तरीके से हो सके. कर दरों और उसके ढांचे में एकरुपता आएगी. जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर की दरें और ढांचा पूरे देश में कॉमन हो. दूसरे शब्दों में, जीएसटी देश में बिजनेस करने को टैक्स न्यूट्रल बना देगा चाहे व्यक्ति किसी भी शहर या राज्य में क्यों न कारोबार कर रहा हो. 

आम आदमी के लिए जीएसटी अलग तरह के बदलाव लेकर आएगा. इनमें कुछ चीजों का महंगा होना लेकिन कुछ चीजों का सस्ता होना शामिल है. छोटी कारें, एसयूवी, बाइक, पेंट और सीमेंट, मूवी टिकट, बिजली के सामान (पंखे, बल्ब, वाटर हीटर, एयर कूलर), रोज़मर्रा की ज़रूरत के सामान, रेडीमेड कपड़े, जीएसटी लागू हो जाने के बाद इनकी खरीद सस्ती हो सकती है. जबकि सिगरेट, ट्रक जैसे व्यावसायिक वाहन, मोबाइल फोन कॉल, कपड़े, ब्रांडेड ज्वैलरी, रेल, बस, हवाई टिकट महंगे हो सकते हैं. पहले पांच साल तक कारों, शीतय पेयों और तंबाकू उत्पादों जैसी सामग्रियों पर कुछ अन्य कर भी लगाए जाएंगे, ताकि राज्यों के नुकसान की भरपाई की जा सके. मुआवज़ा कानून इस लिहाज़ से तैयार किया गया है, ताकि जीएसटी के लागू होने पर राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादे को संवैधानिक जामा पहनाया जा सके.

जीएसटी व्यवस्था में चार दरें- 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत- तय की गई हैं. हालांकि, अधिकतम 40 प्रतिशत तक की शीर्ष दर (टॉप रेट) रखी गई है. यह दर वित्तीय आपात स्थिति को ध्यान में रखते हुए रखी गई है. जीएसटी लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे. पहला सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी, जो केंद्र सरकार वसूलेगी. दूसरा एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी, जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी. तीसरा होगा वह जो कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा. इसे केंद्र सरकार वसूल करेगी और उसे दोनों राज्यों में समान अनुपात में बांट दिया जाएगा.

विश्व के लगभग 160 देशों में जीएसटी की कराधान व्यवस्था लागू है. भारत में इसका विचार अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा साल 2000 में लाया गया. जानकारों की राय में शुरुआती तीन सालों में जीएसटी महंगाई बढ़ाने वाला टैक्स साबित होगा, जैसा मलेशिया और अन्य देशों के उदाहरणों से स्पष्ट है. 

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