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गूगल के सह-संस्थापक 100 मिलियन डॉलर लगाकर बना रहे हैं दुनिया का सबसे बड़ा एयरशिप; ये हो सकते हैं कारण...

इसे इस कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसके जरिए विदेशों में मानवतावादी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सामान भी पहुंचाया जा सके और उनके परिवार व दोस्तों को दुनिया का चक्कर भी लगवाया जा सके.
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NDTV Profit हिंदी12:28 PM IST, 31 May 2017NDTV Profit हिंदी
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गूगल के सह संस्थापक सर्गेई ब्रिन दुनिया का सबसे बड़ा एयरशिप बनाने के लिए 100 मिलियन डॉलर लगा रहे हैं. गार्डियन न्यूजपेपर के हवाले से द वॉशिंगटन पोस्ट ने यह जानकारी छापी जिसे एनडीटीवी डॉट कॉम ने प्रकाशित किया है. इसे इस कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसके जरिए विदेशों में मानवतावादी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सामान भी पहुंचाया जा सके और उनके परिवार व दोस्तों को दुनिया का चक्कर भी लगवाया जा सके.

सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसके दोहरे लाभ को लेकर अटकलें लगा रहे हैं. एक तरफ तो यह रिमोट एरियाज़ और दबे खुचे समुदायों में खाने पीने का सामान ले जाने के लिए कैरियर के तौर पर माना जा रहा है, और दूसरी ओर यह एक ऐशो आराम के सामान से अटा पड़ा एक एयर-याक है, जैसा कि गार्डियन ने इसे कहा है. 

गूगल ने इस पर कोई भी कमेंट करने से इंकार कर दिया.

कहा जा रहा है कि यह कैलिफॉर्निया के माउंटेन व्यू में नासा के एमीज रिसर्च सेंटर में बनाया जा रहा है. गार्डियन के मुताबिक, जब यह पूरा हो जाएगा तब यह दुनिया का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट होगा जोकि 650 फीट लंबा होगा. इस साल की शुरुआत में सबसे पहले ब्लूमबर्ग ने ब्रिन द्वारा वित्तपोषित इस एयरशिप को लेकर रिपोर्ट छापी थी. गार्डियन के मुताबिक, ब्रिन के इस एयरक्राफ्ट में अंदरूनी ब्लैडर्स की पूरी की पूरी सीरीज होगी जोकि फ्लाइट को स्थिर रखेगी. 

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, ब्रिन ने इस पोत को बनाने का फैसला तीन साल पहले लिया था. उनका एयरशिप्स को लेकर आकर्षक तब नजरों में आया जब वे कई एक बार एमीज रिसर्च सेंटर गए. यह सेंटर गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट के हेडक्वॉर्टर के पास है. 

यह कहना मुश्किल है कि ब्रिन का यह एयरशिप वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए प्रयोग में लाया जाएगा कि नहीं. लेकिन एल्फाबेट के सीईओ और गूगल के सह-संस्थापक लैरी पेज ने भी इस एयरक्राफ्ट को लेकर रुचि दर्शायी है. 
 

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