चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर घटकर 5.7 फीसदी रहने से आर्थिक मोर्चे पर सरकार की चिंता बढ़ गई है. घरेलू निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने तथा छोटे और मझोले उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार जल्दी ही कई उपायों का ऐलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक यह प्रोत्साहन पैकेज 40 से 50 हजार करोड़ रुपये तक का हो सकता है. कहा जा रहा है कि इन उपायों में ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत ढांचे को मजबूती देने और किफायती मकान निर्माण जैसे क्षेत्र को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई केंद्रीय मंत्रियों और विशेषज्ञों से इस मुद्दे पर सलाह-मशविरा किया है. गुरुवार को जेटली ने एक कार्यक्रम में कहा कि निजी निवेश की एक समस्या है, सरकार इस पर विचार कर रही है और जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा.
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हालांकि वित्त मंत्री जेटली का कहना है कि पिछले कुछ साल में एक राष्ट्र के रूप में भारत का भरोसा शानदार तरीके से बढ़ा है और चाहे जीएसटी लागू करने की बात हो या सब्सिडी को सभी लाभार्थियों तक पहुंचाने की बात, मौजूदा सरकार ने तेजी से फैसले किए. उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार जीएसटी के बाद मुद्रास्फीति के असर को काबू में रखने में सफल रही है.
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गौरतलब है कि दो साल पहले आर्थिक नरमी से प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक आकर्षक स्थल था. लेकिन 2016 की शुरुआत से लगातार छह तिमाहियों में वृद्धि दर घटी है और चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में यह तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई.
VIDEO : विकास दर तीन साल के निचले स्तर पर
जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट के अलावा निर्यात के समक्ष चुनौतियां हैं और औद्योगिक वृद्धि पांच साल में न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई. चालू खाते का घाटा (सीएडी) अप्रैल-जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.4 प्रतिशत रहा.