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सरकार ने जारी किया आंकड़ा, 2017-18 में जीडीपी ग्रोथ घटकर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के ग्रोथ रेट का पूर्वानुमान सरकार ने जारी कर दिया है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक, इस साल 6.5 फीसदी की दर से जीडीपी बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले साल से कम है. बता दें कि पिछले साल 2016-17 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 फीसदी थी. वहीं, 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस अनुमान से विकास दर में कमी की बात दिख रही है. यह पूर्वानुमान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वित्त मंत्रालय 2018 के बजट की तैयारी कर रही है और ये 1 फरवरी को प्रस्तुत होगा.
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NDTV Profit हिंदी10:09 PM IST, 05 Jan 2018NDTV Profit हिंदी
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वित्त वर्ष 2017-18 के लिए देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद के ग्रोथ रेट का पूर्वानुमान सरकार ने जारी कर दिया है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक, इस साल 6.5 फीसदी की दर से जीडीपी बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले साल से कम है. बता दें कि पिछले साल 2016-17 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 फीसदी थी. वहीं, 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत थी. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस अनुमान से विकास दर में कमी की बात दिख रही है. यह पूर्वानुमान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वित्त मंत्रालय 2018 के बजट की तैयारी कर रही है और ये 1 फरवरी को प्रस्तुत होगा. 

यह भी पढ़ें - दूसरी तिमाही में विकास दर बढ़कर 6.3 फीसदी हुई, पिछली तिमाही में 5.7 फीसदी थी

इस पूर्वानुमान के मुताबिक कृषि, वनीकरण और मछली पकड़ने के क्षेत्र में विकास 2.1 प्रतिशत की उम्मीद है, जबकि इन क्षेत्रों में पिछले साल 2016-17 में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. वहीं, विनिर्माण क्षेत्र में 4.6 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि 2016-17 में 7.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी. वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विसेज सेक्टर में वृद्धि 7.3 फीसदी से बढ़ने की उम्मीद है जो 2016-17 में 5.7 फीसदी दर्ज की गई थी. 

सिंतबर महीने में जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी दर्ज की गई थी, जो अप्रैल-जून तिमाही में यह लगभग 5.7 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी.यह तीन साल के सबसे निचले स्तर पर था. पिछले दिनों जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक विकास दर तीन साल के सबसे निचले स्तर पर चली गई थी. इसके लिए जीएसटी और नोटबंदी जैसे सरकार के फैसले को जिम्मेवार ठहराया गया था. 

यह भी पढ़ें - वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया देश की अर्थव्यवस्था का रोडमैप, जानें 10 ख़ास बातें

एक निजी क्षेत्र के सर्वेक्षण में मंगलवार को दिखाया गया कि दिसंबर में पिछले पांच वर्षों में फैक्ट्री गतिविधि का सबसे तेज गति से विस्तार हुआ है. बता दें कि इससे पहले अप्रैल-जून तिहामी में विकास दर 5.7 फीसदी था, जो लगभग 3 साल का सबसे निचला स्‍तर था. उस वक्त वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के 1 जुलाई से लागू होने से पहले ही बाजार ने इस गिरावट के संकेत दे दिये थे. 

माना जा रहा है कि मौजूदा साल में जीएसटी को लागू करने को लेकर आ रही अड़चनों का असर आर्थिक विकास दर पर पड़ा है. वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने एनडीटीवी से कहा. "जीएसटी को लेकर जो मुद्दे थे उन्हें सही किया जा रहा है. हमने अक्टूबर में ही निर्यातकों की समस्याओं को दूर कर दिया है. आगे जो भी मुद्दे सामने आएंगे उन्हें दूर किया जाएगा.'

इन आंकड़ों से साफ है कि रोज़गार के दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण मैन्यूफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र में विकास दर में गिरावट साफ संकेत है कि आने वाले दिनों में मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर कई तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ेगा. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि वित्त मंत्री अगले महीने के शुरुआत में पेश होने वाले बजट में इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं. 


VIDEO: इस साल जीडीपी घटने का अनुमान

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