यूनान में आर्थिक संकट गहराने से भारत से इंजीनियरिंग निर्यात प्रभावित हो सकता है क्योंकि यूरोपीय संघ इस प्रकार के निर्यात के लिए सबसे बड़ा गंतव्य है। इंजीनियरिंग निर्यातकों का निकाय ईईपीसी इंडिया ने यह कहा है।
हालांकि, इससे भारत पर सीधा प्रभाव संभवत: नहीं पड़ेगा लेकिन उभरते बाजारों से पूंजी बाहर जाएगी क्योंकि ऐसी आशंका है कि नकदी संकट से जूझ रहा यूरोपीय देश कर्ज पुनर्भुगतान के लिए 30 जून की समयसीमा का पालन करने में असफल रह सकता है।
इस साल अप्रैल-मई में यूरोपीय संघ को भारत से इंजीनियरिंग निर्यात 1.86 अरब डॉलर रहा जो एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 1.89 अरब डॉलर था।
ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन अनुपम शाह ने कहा, ‘‘हमें ब्रिटेन, इटली, तुर्की और फ्रांस से भी अप्रत्यक्ष प्रभाव झेलना पड़ सकता है। इससे चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने नकारात्मक वृद्धि हुई है।’’ यूनान ने आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए ऋण प्रोत्साहन के मामले में शर्तों पर जनमत संग्रह करने का निर्णय किया है। ऐसी स्थिति से यूनान के यूरोपीय सहयोगी ऋण देने के लिए सभी दरवाजे बंद कर सकते हैं।
उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक तथा वित्त मंत्रालय को खराब होती वैश्विक स्थिति पर नजर रखने की जरूरत है और इसका भारत के पूंजी प्रवाह तथा मुद्रा की विनिमय दर पर असर पड़ सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यूनान के प्राधिकरण एक सप्ताह के लिये बैंक बंद कर रहे हैं और पूंजी पर कई प्रकार के नियंत्रण लगा रहे हैं, इस समस्या का दूसरे देशों पर प्रभाव पड़ने की आशंका है और इससे निपटने के लिये समन्वित और बेहतर तरीके से कदम उठाने की जरूरत है।’’