राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आथर्कि शाखा स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से कुछ दिन पहले इस पर सवाल खड़ा किया है. मंच का कहना है कि जीएसटी से छोटे कारोबारी बुरी तरह प्रभावित होंगे और इससे चीन से आयात बढ़ेगा. मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि जीएसटी का क्रियान्वयन नजदीक आ रहा है. इसके साथ ही छोटे उद्यमियों और व्यापारियों की धड़कन बढ़ रही है. वहीं, मंच के विरोध में आने मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है.
महाजन ने दावा किया कि लघु उद्योगों के लिए 1.5 करोड़ रुपये तक के उत्पादन पर उत्पाद शुल्क की छूट है. लेकिन जीएसटी प्रावधानों के तहत कोई भी इकाई जिसका कारोबार 20 लाख रुपये या उससे उपर होगा, को खुद को उस राज्य में जीएसटी के लिए पंजीकृत कराना होगा जहां वह कारोबार कर रही है. उन्होंने कहा कि इस कानून से लघु और कुटीर उद्योग बुरी तरह प्रभावित होंगे. ये उद्योग श्रम आधारित हैं और इनमें से ज्यादातर को उंचे कर के दायरे में रखा गया है.
महाजन ने दावा किया कि लघु उद्योगों पर नकारात्मक असर से ग्रामीण इलाकों के लोगों का रोजगार छिनेगा और इसके साथ ही घरेलू उत्पादन घटने से चीन से आयात बढ़ेगा. वहीं सरकार का कहना है कि जीएसटी से आथर्कि वृद्धि दर में दो प्रतिशत अंक का इजाफा होगा. इससे देश का सबसे महत्वाकांक्षी कर सुधार बताया जा रहा है.
कहीं संघ भी नहीं विरोध में!
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह संभवत: पहला मौका है जब मोदी सरकार के किसी कदम का संघ की ओर से विरोध किया जा रहा है. हालांकि अभी संघ खुलकर विरोध में नहीं आया है. अगर ऐसा हुआ तो मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ना तय है. यह भी देखना होगा कि संघ स्वदेशी जागरण मंच के विरोध को कितना जायज ठहराता है.
(इनपुट भाषा से भी)