प्री इंजीनियर स्ट्रक्चर सोसायटी ऑफ इंडिया का दावा है कि अगर सरकार प्री कॉस्ट इंजीनियरिंग को बढ़ावा दे तो देश में आवास समस्या का हल चुटकियों में निकल सकता है. इस तकनीक के सहारे देश की आवास बनाने की क्षमता को पांच गुना बढ़ाया जा सकता है.
सोसाइटी के अध्यक्ष पी. सूर्यप्रकाश ने यहां मंगलवार से शुरू हुए दो दिवसीय पेप्सकॉन सेमिनार में यह बात कही। सेमिनार में केंद्र सरकार के निर्माण से जुड़े अधिकारियों के साथ ही इंजीनियरों ने हिस्सा लिया.
सूर्यप्रकाश ने बताया कि अभी सबके लिए आवास (हाउसिंग फॉर ऑल) योजना चल रही है, लेकिन उसकी गति अभी 300 आवास प्रतिदिन बनाने की है. अगर सरकार प्री कॉस्ट इंजीनियरिंग को बढ़ावा दे तो आवास बनाने की गति को प्रतिदिन 1500 आवास तक लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को प्री कॉस्ट इंजीनियरिंग को करों में राहत देनी होगी.
उन्होंने बताया कि प्री कॉस्ट इंजीनियरिंग उद्योग मशीनरी आयात और निर्माण पर करों में छूट नहीं मांग रहा है, लेकिन प्री कॉस्ट कारखानों में तैयार सामग्री के साथ ही अन्य करों में राहत मिले तो यह उद्योग देश की आवास समस्या हल करने में आगे बढ़कर मदद कर पाएगा. उन्होंने बताया कि अभी जीएसटी में प्री कॉस्ट इंजीनियरिंग को 18 फीसदी के स्लैब में रखा जा रहा है, लेकिन यह कर इस उद्योग को आगे बढ़ने में रुकावट बन सकता है.
सेना के विवाहित सैनिक आवास परियोजना के महानिदेशक मेजर जनरल संजीव जैन ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के साथ ही सेना के तमाम प्रोजेक्ट में प्री कॉस्ट इंजीनियरिंग का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा. सेना विवाहित सैनिकों के लिए देश भर के 150 अड्डों पर अस्सी हजार आवासों के निर्माण में भी इसी तकनीक का उपयोग करेगी. उन्होंने कहा कि सेना इस योजना के 24 हजार करोड़ के बजट में से 80 प्रतिशत प्री कॉस्ट इंजीनियरिंग पर खर्च करेगी.
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