रेटिंग एजेंसी फिच ने सोमवार को कहा कि सरकार के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में तेल सब्सिडी को तय लक्ष्य पर रखना चुनौती होगा और सरकार लगभग 45,000 करोड़ रुपये की तेल सब्सिडी अगले वित्त वर्ष के बजट में डालने पर मजबूर हो सकती है।
एजेंसी का मानना है कि इस वित्त वर्ष में लागत से कम कीमत पर पेट्रोलियम उत्पादों की ब्रिकी से होने वाला नुकसान (अंडर रिकवरी) का केन्द्रीय बजट पर पड़ने वाला कुल बोझ 65 हजार करोड़ रुपये रहेगा।
फिच ने एक रपट में कहा है, सरकार को लगभग 45 हजार करोड़ रुपये अगले बजट से लेने होंगे हालांकि, हमारा मानना है कि थोड़ी थोड़ी मासिक वृद्धि जारी रहेगी। एजेंसी के अनुसार सरकार ने इस वित्त वर्ष के बजट में तेल सब्सिडी मद में 65 हजार करोड़ रुपये रखे थे जिसमें से वह 45 हजार करोड़ रुपये पहले ही तेल विपणन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान सब्सिडी अंतर की पूर्ति के लिए दे चुकी है।
अब सरकार के पास आवंटित मद में 20 हजार करोड़ रुपये बचे हैं जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान 45 हजार करोड़ रुपये की बकाया सब्सिडी रहने का अनुमान है।