भारत की तेल उत्खनन परियोजनाओं पर चीन के विरोध को नजरअंदाज करते हुए वियतनाम ने कहा है कि भारत को दक्षिण चीन सागर में तेल उत्खनन का अधिकार है, क्योंकि यह क्षेत्र उसके (वियतनाम) विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में आता है।
दोनों देशों के 15वें संयुक्त आयोग की गुरुवार को बैठक हुई। इसमें भारत द्वारा वियतनाम को 1.95 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा (लाइन ऑफ क्रेडिट) प्रदान करने संबंधी करार पर भी दस्तखत किए गए।
विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद के साथ बैठक के बाद वियतनाम के विदेशमंत्री फाम बिन मिन ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच दक्षिण और पूर्वी चीन सागर पर विचार विमर्श हुआ। इसमें इस बात पर सहमति बनी कि ऊंचे सागर में नौवहन की स्वतंत्रता वाले संयुक्त राष्ट्र के कानून का सम्मान किया जाना चाहिए।
बैठक में दोनों नेताओं के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मसलों पर चर्चा हुई।
वियतनाम के मंत्री ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारी स्थिति यह है कि हमें दक्षिण चीन सागर के मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए ‘समुद्र संबंधी कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि’ का सम्मान करना होगा।
फाम बिन मिन कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि दक्षिण और पूर्वी चीन सागर की सीमा से लगते देशों को अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों का अधिकार है और भारत वियतनाम के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में खोज और उत्खनन का काम कर सकता है।
वियतनाम के मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब चीन वियतनामी तेल ब्लॉकों में भारत की उत्खनन परियोजनाओं का लगातार विरोध कर रहा है। चीन दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय आधिपत्य का दावा कर रहा है। इसके इस दावे का वियतनाम सहित अन्य पड़ोसी देशों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
खुर्शीद ने कहा, ‘भारत और वियतनाम के बीच सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग तेजी से बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि किसी तरह के मसलों को शंतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिये सुलझाया जाना चाहिए।