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समझौतों के दौर में 'व्यापार युद्ध' की शुरुआत, भारत का अमेरिका को कड़ा संदेश

शुरुआत अमेरिका ने की थी, चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया, फिर यूरोपियन यूनियन और भारत भी इसकी जद में आए और अब भारत ने कई अमेरिकी सामानों पर ड्यूटी बढ़ा दी है. व्यापार समझौतों के इस दौर में ये नए व्यापार युद्ध की शुरुआत है.
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NDTV Profit हिंदी09:34 PM IST, 21 Jun 2018NDTV Profit हिंदी
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शुरुआत अमेरिका ने की थी, चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया, फिर यूरोपियन यूनियन और भारत भी इसकी जद में आए और अब भारत ने कई अमेरिकी सामानों पर ड्यूटी बढ़ा दी है. व्यापार समझौतों के इस दौर में ये नए व्यापार युद्ध की शुरुआत है.

27 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया था कि "प्रधानमंत्री (मोदी) जिनको मैं एक शानदार शख्स मानता हूं, उन्होंने मुझे एक दिन फोन किया और कहा कि वे (हार्ली डेविडसन पर) ड्यूटी में कमी कर रहे हैं. मैंने कहा, ठीक है. लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है. यानी अब तक कुछ नहीं मिला है. उन्होंने 50 फीसदी ले लिया और सोचा कि वो घटा रहे हैं, जैसे कि कोई फायदा दे रहे हैं. लेकिन ये कोई मदद नहीं है."

इस साल की शुरुआत में अमेरिका की आइकॉनिक हार्ली डेविडसन जैसी बाइकों पर कस्टम ड्यूटी 100 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी करने के भारत के फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये नाराज़गी सार्वजनिक तौर पर जताई थी.

गुरुवार को वे थोड़े खुश ज़रूर हुए होंगे क्योंकि भारत ने 800 सीसी से ऊपर की बाइकों पर कस्टम ड्यूटी नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. हालांकि गुरुवार से अमेरिका से भारत आने वाले 29 सामानों पर अब ज़्यादा आयात शुल्क लगेगा. इनमें ड्राई फ्रूट्स, श्रिम्प्स, और कैमिकल्स शामिल हैं. इससे भारत को 24 करोड़ डॉलर सालाना कमाई का अनुमान है.

इसके पहले 9 मार्च को अमेरिका ने स्टील और एल्यूमिनियम के आयात पर शुल्क बढ़ाया था जिससे भारत को स्टील के निर्यात पर 19.86 करोड़ डॉलर और एल्यूमिनियम पर 4.22 करोड़ डॉलर के नुकसान का अंदेशा है.

यानी ये भारत की जवाबी कार्रवाई है. अब भारत ने देसी चने, छोले और मसूर दाल जैसे खाने-पीने के सामान पर 7 फ़ीसदी से 60 फ़ीसदी तक आयात शुल्क बढ़ा दिया.

साफ है, इस फैसले के ज़रिए भारत ने अमेरिका को एक कड़ा संदेश दिया है. ये एक नए ट्रेड वार की शुरूआत है.
हालांकि ये आगे किस दिशा में आगे जाएगा और किस मोड़ पर रूकेगा ये तस्वीर साफ नहीं है. इतना ज़रूर है कि कि इस कड़े फैसले के ज़रिए भारत ने अमेरिका को ये संदेश ज़रूर दे दिया है कि भारत अपने आर्थिक हितों से कोई समझौता नहीं करेगा.

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