ईरान द्वारा अपने तेल टैंकर को रोकने के लिए ‘शक्ति के प्रयोग’ पर भारत ने गंभीर आपत्ति जताई और कहा कि समुद्र पर बने संयुक्त राष्ट्र कानून संधि का यह ‘अतिक्रमण’ है। साथ ही भारत ने चेतावनी दी कि सुव्यवस्थित प्रणाली को मनमाने तरीके से लागू करने के ‘गंभीर परिणाम’ हो सकते हैं।
ईरान के जहाज अधिकारियों को लिखे पत्र में केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने कहा कि घटिया किस्म के जहाज को रोकने के लिए पोर्ट स्टेट कंट्रोल (पीएससी) उपयुक्त प्रणाली है और केवल विशिष्टि परिस्थितियों में ही जहाज को ‘रोका’ जा सकता है अगर जहाज में जीवन एवं पर्यावरण को गंभीर खतरा करने वाले पदार्थ हों।
ईरान को पिछले हफ्ते भेजे गए पत्र में इंजीनियर और सर्वेक्षक सह उप-महानिदेशक (तकनीक) अजित कुमार सुकमारन ने कहा, ‘इस तरह के किसी भी स्वेच्छाचारी बल प्रयोग से अंतरराष्ट्रीय समुद्री परिवहन को सुचारू रूप से जारी रखने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं और नौवहन समुदाय को खतरनाक संदेश जाएगा..।’
ईरान के महानिदेशक, सुरक्षा एवं समुद्री संरक्षण को भेजे गए पत्र में कहा गया, ‘हम भारतीय प्रशासन शक्ति के इस तरह के प्रयोग पर सख्त आपत्ति जताते हैं और आपके प्रशासन को याद दिलाना चाहते हैं कि इस मामले में आपकी कार्रवाई यूनएनसीएलओएस 82 एवं कई अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का अतिक्रमण है।’
उन्होंने कहा कि जहाज इराक के बसरा से विशाखापत्तनम जा रहा था और स्वेच्छा से ईरान के किसी बंदरगाह पर नहीं गया। भारत ने कहा कि इसे जबर्दस्ती ईरान की जल सीमा में ले जाया गया और फिर इसकी पीएससी जांच की गई।
भारत के सबसे बड़े समुद्री लाइनर शिपिंग कारपोरेशन के जहाज को 12 अगस्त को फारस की खाड़ी में प्रदूषण फैलाने के आरोप में जब्त किया गया।
ईरान के अधिकारियों से जहाज को मुक्त करने के लिए ‘त्वरित कदम’ उठाने की मांग करते हुए अजित कुमार ने कहा कि पत्र को भारतीय समुद्री प्रशासन की तरफ से औपचारिक अपील माना जाए।