भारतीय कंपनियां ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और सकल घरेलू उत्पाद व रोजगार के मौके पैदा करने में योगदान कर रहे हैं। यह बात ग्रांट थार्नटन यूके एलएलपी की एक रपट में कही गई।
यह रपट भारतीय उद्योग परिसंघ के सहयोग से तैयार की गई है, जिसमें ब्रिटेन में पंजीकृत लेकिन मूलत: भारतीय कंपनियां शामिल हैं और कारेाबार एवं रोजगार के आकार के आधार पर सबसे तेजी से वृद्धि दर्ज करने वाली कंपनियों का आकलन किया जाता है।
रपट में कहा गया कि फिलहाल ब्रिटेन में भारतीयों के स्वामित्व वाली 700 से अधिक छोटे से बड़े आकार की कंपनियां हैं, जिनमें एक लाख से अधिक लोग काम करते हैं।
इनमें से 41 कंपनियां ऐसी हैं, जिनकी सालाना वृद्धि 10 प्रतिशत से अधिक है और जबकि इन्हीं कंपनियों में 26 ऐसी हैं, जिनकी वृद्धि दर 20 प्रतिशत से अधिक है।
रपट के मुताबिक, इन 41 प्रमुख कंपनियों ने करीब 19 अरब पाउंड की आय अर्जित की। इन 41 कंपनियों की आय में 80 प्रतिशत से अधिक योगदान टाटा मोटर्स का रहा। यह समूह ब्रिटेन की पांच बड़ी कंपनियों, 17 मंझोली कंपनियों और 19 लघु-मध्यम उपक्रमों का प्रतिनिधित्व करता है।
ग्रांट थार्नटन यूके एलएलपी के भागीदार अनुज चंदे ने कहा, भारतीय कंपनियों द्वारा सफल ब्रिटिश निवेश के मौके बहुत है। भारत में वृद्धि की क्षमता में नरमी के मद्देनजर निवेश ब्रिटिश कारोबार में प्रवेश करने या अपना ब्रिटिश परिचालन बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था वृद्धि के चरण में प्रवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि कई भारतीय कार्यकारी अपना कारोबार ब्रिटेन से करने का फैसला कर रहे हैं और इसमें ब्रिटेन और भारत के सांस्कृतिक इतिहास की बड़ी भूमिका है। इस तरह उनकी ब्रिटिश बाजार तक सीधी पहुंच होती है और सुधरते यूरोपीय बाजार में प्रवेश करना भी मौका मिलता है। इस रपट को ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त रंजन मथाई ने इस सप्ताह एक रात्रिभोज के दौरान पेश किया था।