जून में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मई की तुलना में घटकर 3.4 प्रतिशत पर आ गई। हालांकि, यह लगातार तीसरे महीने सकारात्मक दायरे में रही। वहीं दूसरी ओर, खुदरा मुद्रास्फीति में जुलाई में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई।
भले ही जून में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटी है, उद्योग जगत को उम्मीद है कि वृद्धि दर में तेजी लाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के नतीजे निकट भविष्य में दिखाई देंगे।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) को पूर्व के 4.7 प्रतिशत के अनुमान से संशोधित कर 5 प्रतिशत किया गया है।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 3.9 प्रतिशत रही, जबकि 2013-14 की इसी तिमाही के दौरान इसमें 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
वहीं दूसरी ओर, जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.96 प्रतिशत पर पहुंच गई जो जून में 7.46 प्रतिशत थी। सब्जियों, फलों व दूध जैसी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है।
आईआईपी आंकड़ों के मुताबिक, जून में विनिर्माण, खनन व बिजली क्षेत्रों की वृद्धि दर क्रमश: 1.8 प्रतिशत, 4.3 प्रतिशत और 15.3 प्रतिशत रही। इसके अलावा, पूंजीगत सामान की वृद्धि दर 23 प्रतिशत रही। जून में विनिर्माण क्षेत्र में कुल 22 में से 15 उद्योग समूहों में सकारात्मक वृद्धि रही।
इस संबंध में फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा, 'पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर उत्साह जगाने वाली रही क्योंकि यह 2011-12 की दूसरी तिमाही के बाद से सबसे अधिक है। यद्यपि वृद्धि दर नरम है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह गिरावट के दौर से बाहर आ चुकी है।'