प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महंगाई को काबू में रखने में अपनी सरकार की विफलता को आज स्वीकार किया, लेकिन इसके साथ ही कहा कि ऊंचे दाम से किसानों को मदद मिली है और आने वाला समय देश के लिए बेहतर होगा।
प्रधानमंत्री के तौर पर यहां तीसरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनमोहन ने कहा, महंगाई को काबू करने में हम उतना सफल नहीं रहे, जितना चाहते थे। ऐसा मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची रहने की वजह से हुआ पर, हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि हमारी समावेशी नीतियों से कमजोर वर्ग के लोगों की आमदनी बढ़ी है। मुद्रास्फीति के बारे में चिंता पर उन्होंने कहा ‘महंगाई की चिंता करना सही है, लेकिन हमें इस पर भी गौर करना चाहिए कि ज्यादातर लोगों की आय मुद्रास्फीति की दर से भी ज्यादा तेजी से बढ़ी है।
महंगाई थामने के मामले में राज्यों की भूमिका को रेखांकित करते हुए मनमोहन ने कहा खाद्य पदार्थों के दाम पर अंकुश लगाने के लिए आपूर्ति बढ़ाने के साथ-साथ विपणन तथा दूसरी सुविधाओं में सुधार लाने की आवश्यकता है, विशेषतौर पर फल और सब्जियों जैसी जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार लाने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा, इसमें से ज्यादातर कार्य राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। आर्थिक वृद्धि के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुस्ती वैश्विक कारणों से आई है और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले वर्षों में आर्थिक वृद्धि में सुधार होगा। समाप्त वित्त वर्ष 2012-13 में आर्थिक वृद्धि की दर गिर कर 5 प्रतिशत रह गई। यह पिछले एक दशक की न्यूनतम वार्षिक वृद्धि है।
उन्होंने कहा, आने वाले समय बेहतर होगा। वैश्विक आर्थिक वृद्धि का चक्र बेहतरी की ओर मुड़ रहा है। हमने अपनी घरेलू अड़चनों को दूर करने के लिए जो कई कदम उठाए हैं, उनका असर अब सामने आने लगा है। भारत की अपनी वृद्धि की रफ्तार भी तेज होगी।
मनमोहन ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान देश के इतिहास में पहली बार नौ प्रतिशत की उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल की गई। उन्होंने कहा, इस उल्लेखनीय वृद्धि के बाद वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से आर्थिक सुस्ती का दौर शुरू हुआ। पिछले कुछ सालों के दौरान दुनिया की सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक सुस्ती छाई रही। भारत भी इसस अछूता नहीं रहा।