कंसल्टिंग फर्म जिनोव के मुताबिक भारत में 2021 तक करीब 94000 लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. ऐसा इंटरनेट ऑफ़ थिंग (IoT) तकनीकी का उपयोग किए जाने के कारण होगा.
ऑटो सेक्टर, टेलीकॉम से लेकर हेल्थकेयर सेक्टर की कंपनियों में इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स तकनीकी का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है. कंपनिया इस तकनीकी से अपनी लागत को कम कर रही हैं. ऑटोमेशन के कारण हजारों की तादात में नौकरियां खत्म होंगी. इसका सबसे बड़ा असर अकुशल और निचले स्तर के कर्मचारियों की नौकरी पर पड़ेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर 1.6 अरब डॉलर इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स पर खर्च कर रहा है. जिसके 2021 तक 3.8 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है. वहीं, वैश्विक रूप से IoT पर कॉर्पोरेट द्वारा लगभग 120 अरब डॉलर खर्च किए जा रहे हैं और 2021 तक इसके 253 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है.
इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (IoT) एक ऐसी तकनीकी है जिसका प्रयोग मशीनरी में सेंसर्स और चिप्स के जोड़े जाने को समझाने के लिए किया जाता है. इससे मशीन इंटरनेट को मॉनीटर करती है और उसे नियंत्रित करती है. इस तकनीकी के चलते एडमिनिस्ट्रेशन, सपोर्ट स्टाफ और मेंटीनेंस में काम करने वाले लोगों के जॉब पर असर पड़ना तय है.
हालांकि, IoT से डेटा साइंटिस्ट, उत्पाद प्रबंधक, रोबोट को-ऑर्डिनेटर, इंडस्ट्रियल प्रोग्रामर, नेटवर्क इंजीनियर जैसे क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. रिपोर्ट के अनुसा, भारत में करीब 25000 नए जॉब के अवसर पैदा होंगे.