निवेशकों का रूख गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को लेकर ठंडा है और उन्होंने चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में इससे 130 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की. निवेशकों ने शेयरों में निवेश को तरजीह दी. पिछले चार वित्त वर्ष में स्वर्ण ईटीएफ में कारोबार नरम रहा है. इसमें से वित्त वर्ष 2015-16, 2014-15 तथा 2013-14 में क्रमश: 903 करोड़ रुपये, 1,475 करोड़ रुपये तथा 2,293 करोड़ रुपये की निकासी की गयी.
हालांकि 2016-17 में इससे पूर्व तीन वित्त वर्ष के मुकाले स्वर्ण ईटीएफ से निकासी धीमी रही. विशेषज्ञों के अनुसार धन निकासी का का कारण निवेशकों का शेयरों में निवेश पर जोर है. एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के पास उपलब्ध ताजा आंकड़े के अनुसार अप्रैल में स्वर्ण से जुड़े ईटीएफ से 66 करोड़ रपये जबकि मई में 71 करोड़ रपये की निकासी की गयी. इस प्रकार, कुल 137 करोड़ रपये की निकासी की गयी.
स्वर्ण ईटीएफ से लगातार निकासी देखी जा रही है. पिछली बार अक्तूबर में 20 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ था. उससे पहले, मई 2013 में 5 करोड़ रपये का निवेश हुआ था. वहीं दूसरी तरफ इक्विटी और इक्विटी से संबद्ध बचत योजना (ईएलएसएस) में आलोच्य महीने के दौरान करीब 20,000 करोड़ रपये की पूंजी डाली गयी.
स्वर्ण कोष का संपत्ति आधार मई के अंत में घटकर 5,298 करोड़ रुपये रहा जो अप्रैल में 5,377 करोड़ रुपये था. पिछले वित्त वर्ष के अंत में यह 5,480 करोड़ रुपये था.
मोर्निंगस्टार के निदेशक (फंड रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा, ‘‘वर्ष 2012-13 में 1,900 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई पर जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने का दाम 1,050 से 1,350 डॉलर प्रति औंस पर बना हुआ है.’’ सोने का दाम 2015 में 1,050 डालर से बढ़कर 2016 में 1,350 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया लेकिन हाल में फिर इसमें सुधार हुआ. डॉलर के मुकाबले रपये के मजबूत होने से सोने की घरेलू कीमत में फिर गिरावट हुई.
बेलापुरकर ने कहा, ‘‘दूसरी तरफ घरेलू इक्विटी बाजार में तेजी के साथ फिलहाल गोल्ड कोष (ईटीएफ) निवेश का बहुत लोकप्रिय विकल्प लहीं है. निवेश इसमें पैसा नहीं लगा रहे और पिछले चार साल से निवेश राशि निकाल रहे हैं.’’