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पहली नौकरी लगी है? इसी महीने से पैसा बचाना शुरू कर दें, जानें क्यों... : 4 जरूरी बातें

हमने सुना है कि एक रुपया बचाया हुआ एक रुपया कमाए हुए पैसे के बराबर होता है. ऐसे में सोचिए यदि आपने एक महीने में 2 हजार रुपये बचा लिए तो वह वक्त-जरूरत पर आपके लिए 2 हजार रुपये की 'कमाई' के तौर पर काम आएंगे. अच्छा होगा कि पहली नौकरी से ही पैसा बचाने और निवेश करने की आदत डाल ली जाए. जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना ज्यादा नफे में रहेंगे.
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NDTV Profit हिंदी06:30 AM IST, 28 Feb 2018NDTV Profit हिंदी
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हमने सुना है कि एक रुपया बचाया हुआ एक रुपया कमाए हुए पैसे के बराबर होता है. ऐसे में सोचिए यदि आपने एक महीने में 2 हजार रुपये बचा लिए तो वह वक्त-जरूरत पर आपके लिए 2 हजार रुपये की 'कमाई' के तौर पर काम आएंगे. अच्छा होगा कि पहली नौकरी से ही पैसा बचाने और निवेश करने की आदत डाल ली जाए. जितनी जल्दी निवेश शुरू करेंगे, उतना ज्यादा नफे में रहेंगे.

आइए जानें, नौजवानों को निवेश क्यों जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए और इस राह में क्या रोड़े हैं...

  1. सेविंग अकाउंट में रखे हुए पैसे को निवेश मानते हैं नौजवान. ऐसे में एक बात बता दें कि लेजीनेस को हटा दें केवल साढ़े तीन फीसदी ब्याज मिलता है जोकि अपेक्षाकृत काफी कम है. और आपके पैसे को बैंक कहीं न कहीं निवेश करके कमा रहा होता है. अच्छा होगा कि आप आलस त्यागकर इसका खुद से कहीं निवेश करें.
  2. अगर आप इक्विटी मार्केट नहीं समझते हैं तो परेशान न हों और न ही डरें. आपको प्लेन चलाना नहीं आता लेकिन आप इस पर यात्रा करके समय बचाकर कहीं पहुंच जाते हैं. बेसिक इंफोर्मेशन इंटरनेट से ले सकते हैं. किसी प्रफेशनल से हेल्प ले सकते हैं. शर्माएं नहीं क्योंकि अगर आप शेयर बाजार से दूर भागेंगे तो नुकसान आपको होगा.
  3. जब आपके पास पैसे आएं तब से बचत करना शुरू कर दें. अपनी पहली नौकरी के समय से ही बचत करना शुरू कर दें. अगर आप 1000 रुपये हर महीने 30 साल के लिए जमा करते हैं तो वह 54 लाख बन जाता है. लेकिन यदि आप इसे 5 साल डिले करते हैं और 25 साल के लिए निवेश करते हैं तो यह घटकर साढ़े 26 लाख रुपये हो जाती है. सलाह है कि जैसे ही पहली आय आती है तो अपने लिए सबसे पहले एक छोटी रकम निवेश करना शुरू कर दें.
  4. जोखिम और जुए के फर्क समझें. इक्विटी में पैसा निवेश करना जोखिम तो है लेकिन जुआ नहीं. रिस्क तो आपके घर से निकलते ही शुरू हो जाता है जैसे कि घर से जल्दी निकलते हैं ऑफिस जाने के लिए ताकि समय पर पहुंचे. हो सकता है बावजूद इसके बस निकल जाए. यह रिस्क हमेशा रहेगा. लेकिन यदि कोई इस बात पर बेट लगाए कि बस आएगी या नहीं, तो वह जुआ कहलाया जाएगा. कैलकुलेट करें. एकसाथ पैसा न करें, जोखिम को कम करके और सही गणना करके इसे कम किया जा सकता है.
(रूंगटा सिक्यॉरिटी के प्रिंसिपल फाइनेंशल प्लानर हर्ष वर्धन की एनडीटीवी इंडिया पर हुई बातचीत के आधार पर)
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