टू-जी स्पैक्ट्रम घोटाले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीन चिट देने और तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा द्वारा उन्हें 'गुमराह' करने का दावा करने वाली संयुक्त संसदीय समिति की विवादास्पद रिपोर्ट सोमवार को हंगामे के बीच लोकसभा में पेश कर दी गई।
प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने इस मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देने से इनकार करते हुए जेपीसी के अध्यक्ष पीसी चाको को समिति की रिपोर्ट पेश करने को कहा।
इससे द्रमुक, भाजपा, वाम, तृणमूल कांग्रेस, बीजद और शिरोमणि अकाली दल के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर रिपोर्ट पर चर्चा की अनुमति नहीं देने का विरोध करने लगे।
भाजपा के यशवंत सिन्हा और हरेन पाठक, भाकपा के गुरुदास दासगुप्ता और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी आदि को इस रिपोर्ट को संविधान के साथ 'धोखा' करने का आरोप लगाते सुना गया। द्रमुक सदस्य विरोधस्वरूप सदन से वॉकऑउट कर गए।
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी भी अध्यक्ष को कुछ कहते दिखे, लेकिन हंगामे में उनकी बात सुनी नहीं जा सकी।
द्रमुक सदस्य टीआर बालू और पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा वॉकऑउट करने के कुछ देर बाद में सदन में लौट आए और आसन के समक्ष आ गए। द्रमुक के एक सदस्य को कुछ कागज फाड़ते देखा गया।
हंगामा बढ़ते देख अध्यक्ष ने कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
प्रधानमंत्री को क्लीन चिट देने के अलावा जेपीसी रिपोर्ट में कैग द्वारा टू-जी स्पैक्ट्रम आवंटन से अनुमानित 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान को भी खारिज करते हुए इसे गलत अनुमान बताया गया है। लेकिन जेपीसी के विपक्षी दलों के सदस्यों ने इसकी रिपोर्ट को 'अंतर्विरोधों का पुलिंदा' बताया है।
इन सदस्यों ने रिपोर्ट पर अपने असहमति नोट भी दिए हैं।