दुनिया भर में मंदी की आशंका के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने कुछ अच्छे संकेत दिखाए हैं और जून तिमाही में आर्थिक विकास दर अनुमान से कहीं बेहतर 5.5 फीसदी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों ने विकास दर 5.2 से 5.3 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया था। कुछ विश्लेषकों ने विकास दर के 4.9 से 5 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया था, जो साल 2009 के स्तर से भी कम होता।
विश्लेषकों का कहना था कि औद्योगिक तथा निवेश संबंधी गतिविधियां रफ्तार नहीं पकड़ पाई हैं और सेवा क्षेत्र में भी गिरावट ही रही है। राजनीतिक गतिरोध आर्थिक सुधार के फैसलों को बाधित कर रहे हैं और रिजर्व बैंक का ब्याज दरों में बदलाव नहीं करना कंपनियों निवेश घटाने के लिए मजबूर करता रहा।
जून, 2012 में औद्योगिक उत्पादन 1.8 फीसदी गिरा, जिसे काफी चिंता का विषय समझा गया। पिछले साल के मुकाबले जून में पूंजीगत उत्पादों में भी 28 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
अप्रैल में वित्तवर्ष शुरू होने के बाद से चिंताजनक रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भी 67 फीसदी की कमी आई। देश के कुल औद्योगिक उत्पादन का 76 फीसदी हिस्सा देने वाले विनिर्माण क्षेत्र में भी इस साल 3.2 फीसदी की गिरावट रही।