निजी क्षेत्र की देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी टाटा पावर ने आज कहा कि दरों में संशोधन नहीं होने के कारण मूंदड़ा परियोजना पर उसे करीब 1,900 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है। आयातित कोयले की लागत बढ़ने से यह घाटा हो रहा है।
टाटा पावर के प्रबंध निदेशक अनिल सरदाना ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, आयातित कोयले की ऊंची लागत के कारण हमें सालाना 1,800 से 1,900 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इस नुकसान पर हम कब तक टिके रह सकते हैं? मूंदड़ा संयंत्र को परिचालित करने वाली विशेष उद्देश्यीय कंपनी कोस्टल गुजरात पावर लि. (सीजीपीएल) ने केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग को आवेदन देकर महंगे आयातित कोयले से राहत देने का अनुरोध किया है।
सीईआरसी ने अप्रैल में कहा था कि कंपनी को कोयले की लागत बढ़ने की भरपाई की जानी चाहिए। आदेश में कहा गया था कि संयंत्र से बिजली खरीदने वाले राज्य इंडोनेशिया से आयातित महंगे कोयले की भरपाई के लिए समिति गठित करे। टाटा पावर को 30 जून को समाप्त तिमाही में 114.7 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसका मुख्य कारण मूदंड़ा संयंत्र के लिए आयातित कोयले की लागत का ऊंचा होना है।