मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों से कुछ माह पहले शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने युवाओं के कौशल विकास व रोजगार की संभावनाएं पैदा करने के लिये पुणे की एक निजी कंपनी को अनुबंधित किया है. हालांकि कांग्रेस ने इसे चुनावी साल में युवाओं को धोखे में डालने वाला कदम बताया है. मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास और रोजगार सृजन मंडल के अध्यक्ष हेमंत विजयराव देशमुख ने बताया, ‘‘युवाओं के लिये रोजगार के और अधिक अवसर पैदा करने के लिये पुणे की एक कंपनी के साथ एक करार किया गया है.‘
उन्होंने कहा कि यह कंपनी प्रदेश के 15 जिलों में चल रहे रोजगार कार्यालयों को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) योजना के तहत ‘प्लेसमेंट सेंटर’ में तब्दील करेगी. अनुबंध के मुताबिक इस योजना में प्रदेश के भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, रीवा, ग्वालियर, सागर, उज्जैन, होशंगाबाद, शहडोल, धार, खरगोन, देवास, सिंगरौली, सतना और कटनी जिले शामिल किये गये हैं.’’
देशमुख ने विश्वास व्यक्त किया कि पुणे की कंपनी के साथ अनुबंध निश्चत तौर पर प्रदेश में बेरोजगार युवाओं के हित में साबित होगा. वहीं विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि सरकार का यह कदम निजी कंपनी के हित में उठाया गया है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, ‘‘आखिर 14 साल बाद क्यों भाजपा सरकार जागी है. यह केवल युवाओं को गुमराह करने के लिये किया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार प्रदेश में युवाओं को रोजगार देने में असफल रही है.
बेरोजगार युवकों के एक संगठन बेरोजगार सेना ने कहा कि वह सरकार के इस कदम से उत्साहित नहीं है. विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2018 के अनुसार वर्ष 2016 के अंत में मध्यप्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों के दर्ज संख्या 11.24 लाख थी.